रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को महादेव सट्टा ऐप प्रमोटर्स की तरफ से 508 करोड़ रुपये जाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ था। ED की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में भी उनका नाम है। असीम दास के बयान के मुताबिक महादेव एप के एक प्रमोटर शुभम सोनी ने उसे कैश पहुंचाने का काम सौंपा था। इस पूर्व CM भूपेश ने कहा, ED अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर साजिश कर रही है। इन आरोपों को कोई आधार भी नहीं है।
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया X पर लिखा- ‘प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में जिस तरह से मेरा नाम लिखा है, वह पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है। ईडी अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर कूटरचना कर लोगों को गिरफ्तार कर रही है और उनसे दबावपूर्वक मेरे और मेरे सहयोगियों के खिलाफ बयान दिलवा रही है। इन बयानों में जो पैसों के लेनदेन के आरोप लगाए गए हैं उनका कोई आधार नहीं है।’
‘घटना की पूरी रिकॉर्डिंग ईडी के पास’
भूपेश बघेल ने कहा, ‘जिस असीम दास के पास से रुपये बरामद हुए थे, उसने जेल से अपने हस्तलिखित बयान में कह दिया है कि उन्हें भी धोखे में रखकर फंसाया गया है और उन्होंने कभी किसी राजनेता व उनसे जुड़े लोगों को पैसा नहीं पहुंचाया। अब ईडी दावा कर रही है कि उसने यह बयान भी वापस ले लिया है। यह किस दबाव में हो रहा है, उसे सब जानते हैं। अब सवाल यह है कि ईडी ने जिस दिन कथित रूप से असीम दास से रुपये बरामद किए थे, उस घटना की पूरी रिकॉर्डिंग ईडी के पास है। इसका मतलब है कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी और इसका मतलब यही है कि इसकी कूटरचना ईडी ने ही की थी।’
‘मैंने ही मुख्यमंत्री रहते जांच शुरू करवाई’
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा, ‘ईडी ने दावा किया है कि चंद्रभूषण वर्मा ने भी अपना पहले का बयान वापस ले लिया है। हम तो शुरुआत से कह रहे हैं कि ईडी मारपीट से लेकर धमकी देने तक हर हथकंडे अपनाकर मेरा व मेरे सहयोगियों का नाम लेने का दबाव बना रही है। ईडी के नए दस्तावेज से यह और स्पष्ट हो गया है। महादेव ऐप के घोटाले की जांच मैंने ही मुख्यमंत्री रहते हुए खुद शुरू की थी। मैं चाहता था कि इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो और युवाओं को जुआखोरी की ओर धकेल रहे इस अपराध पर रोक लगे।
‘असली अपराधियों को बचाने का उद्देश्य’
भूपेश बघेल ने कहा, ‘छत्तीसगढ़ सरकार की इस जांच के आधार पर ही ईडी धन-शोधन का मामला बनाकर जांच कर रही है, लेकिन दुर्भाग्य है कि ईडी ने जांच को अपराध की बजाय राजनीतिक दबाव व बदनामी का हथियार बना लिया है। महादेव ऐप के पूरे मामले को जिस तरह से राजनीतिक रंग दिया गया है उससे साफ है कि इसका उद्देश्य अब असली अपराधियों को बचाने और राजनीतिक दुष्प्रचार कर भाजपा को फायदा पहुंचाने का ही रह गया है।’ बता दें कि बीते दिन ईडी ने यह जानकारी दी थी कि असीम दास अपने बयान पर कायम है और उसने साफ तौर पर कहा है कि 5 करोड़ 39 लाख की राशि महादेव सट्टा एप के संचालकों ने विधानसभा चुनाव में खर्च के लिए राजनेता को भेजी थी।