DELHI. एजेंसी। छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा दावा किया है। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि चैतन्य ने शराब घोटाले से प्राप्त 1000 करोड़ रुपये से अधिक आय का प्रबंधन किया। साथ ही अपनी रियल एस्टेट परियोजना के विकास के लिए 16.7 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया। चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस इसे लेकर भाजपा सरकार पर हमलावर है।
बता दें कि चैतन्य बघेल को ईडी ने 18 जुलाई को उनके 38वें जन्मदिन पर भिलाई-3 के मानसरोवर कॉलोनी स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था। चैतन्य को उसी दिन रायपुर की एक अदालत ने 5 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया था। केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में दावा किया कि चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये की आपराधिक आय प्राप्त हुई थी। उन्होंने उस रकम का इस्तेमाल अपनी रियल एस्टेट परियोजना के विकास में किया था। ईडी के बयान में आरोप लगाया गया है कि आपराधिक आय का इस्तेमाल चैतन्य बघेल की परियोजना के ठेकेदारों को नकद भुगतान और बैंक खातों के माध्यम से किया गया था।
त्रिलोक सिंह ढिल्लो से सांठगांठ किया
केंद्रीय एजेंसी ईडी ने प्रेस रिलीज में कहा कि जूनियर यानि चैतन्य बघेल ने त्रिलोक सिंह ढिल्लो नामक एक स्थानीय व्यवसायी के साथ सांठगांठ की। फिर उसकी कंपनियों का उपयोग करके एक योजना तैयार की। इसके तहत उन्होंने ढिल्लो के कर्मचारियों के नाम पर अपने विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने के नाम पर अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपये प्राप्त किए। ईडी ने कहा कि बैंकिंग ट्रेल से पता चलता है कि संबंधित लेन-देन के दौरान त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने अपने बैंक खातों में शराब सिंडिकेट से रकम प्राप्त किया। एजेंसी ने आरोप लगाया कि चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले से प्राप्त 1000 करोड़ रुपये से अधिक की आय का प्रबंधन किया।
2500 करोड़ रुपये से अधिक का स्कैम
ईडी के बयान में कहा गया है कि चैतन्य बघेल छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन कोषाध्यक्ष को घोटाले से मिले रकम को हस्तांतरित करने के लिए अनवर ढेबर (रायपुर के पूर्व मेयर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई) और अन्य के साथ समन्वय करते थे। ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि इस शराब घोटाले से प्राप्त रकम को आगे निवेश के लिए बघेल परिवार के प्रमुख सहयोगियों को भी सौंप दिया गया था। इसकी जांच की जा रही है। ईडी ने कहा है कि कथित घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। इससे शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों में 2500 करोड़ रुपये से अधिक रकम गए।
आबकारी मंत्री लखमा अभी जेल में बंद
ईडी के अनुसार यह घोटाला 2019 और 2022 के बीच रचा गया था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का शासन था। ईडी ने इस मामले में जनवरी में पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य को गिरफ्तार किया था। छत्तीसगढ़ की जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू/एसीबी ने पिछले साल 17 जनवरी को एफआईआर दर्ज की थी। इसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड सहित 70 व्यक्तियों और कंपनियों को नामजद किया था।