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Wednesday, November 20, 2024

मूलवासी बचाओ मंच का आरोप- ताड़मेटला मुठभेड़ फर्जी, ग्रामीणों को मार डाला, सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया को पुलिस ने रोका

दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के ताड़मेटला में हुई मुठभेड़ को मूलवासी बचाओ मंच के पदाधिकारियों ने फर्जी करार दिया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को मारकर उन्हें इनामी बताया जा रहा है। पुलिस ने दबावपूर्वक दोनों का अंतिम संस्कार भी करवा दिया। सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया सहित अन्य लोग मृतक के परिजनों से मिलने गांव जा रहे थे उन्हें चिंतलनार में रोक दिया गया। मजबूरी में सभी को थाने के सामने धरने पर बैठना पड़ा और बैरंग लौटे हैं।

दंतेवाड़ा के पुराने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करने के दौरन मूलवासी बचाओ मंच के महासचिव बादल कुमार बनर्जी ने पुलिस प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। अधिवक्ता बेला भाटिया ने कहा कि पुलिस प्रशासन साफ सुथरा है तो हमें आगे जाने क्यों नहीं दे रहे हैं। सुकमा के एसपी को फोन लगाया, उन्हें सुरक्षा का हवाला देकर जाने नहीं दिया। पुलिस अफसर सही जबाब नहीं दे रहे हैं। थाना के सामने चिल्लाती रही। पुलिस तो 24 घंटे नागरिकों की सुरक्षा के लिए है, लेकिन बस्तर में सुरक्षा का हवाला देकर नागरिक अधिकारों का ही दमन किया जा रहा है।

मनीष कुंजाम ने भी कहा- मुठभेड़ फर्जी है
अधिवक्ता बेला भटिया ने कहा कि मारे गए दोनों ग्रामीण है, माओवादी नहीं थे। मारे गए लोग अपने नाते-रिश्तेदार से मिलने गए थे। मृतकों के पास पैसे थे और मोबाइल भी गायब है। बाइक को भी छिपा दिया गया है। ये दोनों तिम्मापुरम सगा घर से वापस आ रहे थे। उसी दौरान पुलिस ने मुठभेड़ बताकर दोनों ग्रामीणों को मार दिया। इस पूरे मामले पर आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने भी सवाल खड़े किए है। वे भी इस मुठभेड़ को फर्जी बता रहे हैं।

बस्तर IG बोले- दोनों इनामी नक्सली थे
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि 5 सितंबर को सुकमा जिले के ताड़मेटला के जंगल में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी, जिसमें जवानों ने दो नक्सलियों को मार गिराया था। उनकी पहचान मिलिशिया कैडर रवा देवा और सोढ़ी कोसा के रूप में हुई थी। दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित था। ये दोनों नक्सली ताड़मेटला पंचायत के उप सरपंच माड़वी गंगा, शिक्षादूत कवासी सुक्का और मजदूर कोरसा कोसा की हत्या में शामिल थे। आईजी ने कहा कि पुलिस व सुरक्षा बल को बदनाम करने मुठभेड़ में मारे गए लोगों को निर्दोष बताते हुए नक्सली भ्रामक प्रचार करते हैं।

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