विशाखापट्टनम.एजेंसी। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगुदेशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू को कौशल विकास घोटाला केस में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की तरफ से नियमित जमानत दे दी गई है। इससे पहले उच्च न्यायालय ने उन्हें 24 नवंबर तक के लिए अंतरिम जमानत दी थी। तब उनके वकील ने आंखों के ऑपरेशन का हवाला देकर नायडू के लिए अंतरिम जमानत देने की अपील की थी। अंतरिम जमानत देने के दौरान कोर्ट ने कहा था, अस्पताल जाने के अलावा नायडू किसी भी कार्यक्रम में न जाएं। उन्हें खास तौर पर मीडिया और राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहने कहा था। जस्टिस टी मल्लिकार्जुन राव ने फैसला सुनाया, जिनके समक्ष टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू की जमानत याचिका आई थी।
बता दें कि चंद्रबाबू नायडू को 371 करोड़ रुपये के कौशल विकास घोटाले में नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने उन्हें 9 सितंबर को सुबह करीब छह बजे ज्ञानपुरम में बस में सोते वक्त गिरफ्तार किया था। 31 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को चिकित्सा आधार पर चार सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी। सीआईडी का दावा है कि नायडू के ही नेतृत्व में मुखौटा कंपनियों के जरिये सरकारी धन को निजी संस्थाओं में हस्तांतरित करने की साजिश रची गई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने वर्ष 2018 में इस घोटाले की शिकायत की थी। मौजूदा सरकार की जांच से पहले जीएसटी इंटेलिजेंस विंग और आयकर विभाग भी घोटाले की जांच कर रहे थे।
क्या है कौशल विकास घोटाला केस?
- आंध्र प्रदेश स्टेट स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन का गठन आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद किया गया था।
- ये एक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप था और इसका उद्देश्य राज्य के युवाओं को कौशल देना, प्रशिक्षित करना और युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना था।
- इसके लिए कौशल विकास निगम ने टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ समझौते किए थे। इनमें सीमेंस और डिजाइन टेक सिस्टम्स जैसी कंपनियां भी शामिल थीं।
- इसमें आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा था कि लागत का 10 प्रतिशत हिस्सा सरकार देगी और बाकी 90 प्रतिशत सीमेंस कंपनी अनुदान के रूप में देगी।
- आंध्र प्रदेश सरकार ने स्किल डेवलपमेंट एक्सीलेंस सेंटरों की स्थापना के लिए सीमेंस और डिजाइन टेक के साथ 3356 करोड़ रुपये के समझौते किए थे। समझौते के मुताबिक टेक कंपनियों को इस प्रोजेक्ट में 90 फीसदी हिस्सेदारी वहन करनी थी, लेकिन ये बात आगे नहीं बढ़ी।
- इस समझौते के तहत स्किल डेवलपमेंट के लिए 6 क्लस्टर बनाने थे और प्रत्येक क्लस्टर पर 560 करोड़ रुपये खर्च होने थे।
- तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू सरकार ने घोषणा की थी कि वह अपने हिस्से की 10 प्रतिशत जिम्मेदारी यानी 371 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी।
- आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से का भुगतान कर दिया था। आंध्र प्रदेश में सीआईडी ने कौशल विकास के लिए जारी फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सबसे पहले दिसंबर 2021 में मामला दर्ज किया था।
- CID ने आरोप लगाया था कि सीमेंस ने प्रोजेक्ट की लागत को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर 3300 करोड़ रुपये कर दिया था। इस आरोप में सीमेंस से जुड़े जीवीएस भास्कर पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था।
- आंध्र प्रदेश सरकार ने सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ्टवेयल प्राइवेट लिमिटेड को 371 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
- सीआईडी का आरोप था कि इस सॉफ्टवेयर की वास्तविक कीमत सिर्फ 58 करोड़ रुपये थी।
- CID ने इस समझौते में कौशल विकास निगम की तरफ से मुख्य भूमिका निभाने वाले गंता सुब्बाराव और लक्ष्मीनारायण समेत कुल 26 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। बाद में इनमें से 10 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया था, फिर इसी मामले में चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी हुई थी।