Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो गई है। चुनाव लड़ने के इच्छुक किसी ना किसी पार्टी की टिकट या निर्दलीय ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं। कई उम्मीदवार ऐसे होते हैं, जो सिर्फ अपना शौक पूरा करने चुनावी मैदान में उतरते हैं। अगर आप चुनाव लड़कर समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं तो यह बेहतर मौका है। कई लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग की नामांकन प्रक्रिया को जटिल मानकर ऐसा नहीं करते हैं। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि चुनाव कौन-कौन लड़ सकता है और चुनाव लड़ते वक्त किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। चुनाव लड़ने के इच्छुक जिला निर्वाचन कार्यालय से भी संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं।
इन दस्तावेज की आवश्यकता होती है?
जब कोई चुनाव लड़ता है तो उम्मीदवार को चुनाव आयोग की तय प्रक्रिया के अनुसार कई तरह के फॉर्म भरने होते हैं। इन फॉर्म में उम्मीदवार को संपत्ति से लेकर एजुकेशन, एड्रेस, कोर्ट केस आदि की जानकारी देनी होती है। अलग-अलग फॉर्म में कई सवालों के जवाब देने होते हैं और कई सवालों को सत्यापित करने के लिए दस्तावेजों की आवश्यकता भी होती है। वैसे तो उम्मीदवार के निजी पहचान, एड्रेस, आयु, संपत्ति (जिन-जिन की जानकारी दी गई है), कोर्ट केस के सभी दस्तावेज जमा करने होते हैं। होम टैक्स चुकाने की रसीद, सभी टैक्स चुकाने की रसीद आदि की जानकारी भी देनी होती है। अगर पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं तो सिंबल आंवटन का सर्टिफिकेट जमा करना होता है, जिसे बी फार्म कहते हैं। चुनाव लड़ने के लिए आपको अमानत राशि भी जमा करनी पड़ेगी। यह अलग-अलग वर्गों के लिए अलग-अलग निर्धारित है।
कहां से और कैसे लड़ सकते हैं चुनाव…?
अगर सामान्य नियमों की बात करें तो चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति को भारत का नागरिक होना आवश्यक है। इसके साथ ही उस व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए। ऐसा जरूरी नहीं है कि आपको जिस सीट से चुनाव लड़ना है, उस निर्वाचन क्षेत्र से ही आप मतदाता हों। आप भले ही किसी भी सीट पर अपना वोट देते हों, लेकिन आप चुनाव किसी भी विधानसभा से लड़ सकते हैं। विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के उम्र की बात करें तो 25 साल से अधिक उम्र के लोग चुनाव लड़ सकते हैं। इसके अलावा व्यक्ति को मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होना जरूरी है। सामान्य सीट पर कोई भी चुनाव लड़ सकता है, लेकिन आरक्षित सीटों पर उसी वर्ग के लोग चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे।
कितनी सीट पर चुनाव लड़ा जा सकता है?
1996 के पहले पहले धारा 33 के मुताबिक, कोई भी उम्मीदवार चाहे कितनी भी सीटों से चुनाव लड़ सकता था, लेकिन इस पर आपत्तियां आ जाने के बाद 1996 में इस नियम में संशोधन किया गया। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 (7) के तहत अब कोई भी व्यक्ति अधिकतम दो सीटों से ही चुनाव लड़ सकता है। सौभाग्य से अगर दोनों सीट से चुनाव में जीत मिलती है तब एक सीट छोड़नी पड़ती है। चुनाव परिणाम आने के 10 दिन के अंदर उसे ऐसा करना होता है और फिर जो सीट खाली हो जाती है, वहां फिर से निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कराया जाता है।
फार्म भरने ऑफलाइन-ऑनलाइन प्रक्रिया
अगर चुनावी प्रक्रिया की बात करें तो इसमें सबसे पहले चुनाव आयोग के सभी फॉर्म भरने होते हैं और उसमें जिन भी दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, उन्हें जमा करना होता है। इसके अलावा दो गवाह के साथ एक शपथ पत्र भी जमा करना होता है, जिसमें अपने बारे में और संपत्ति की जानकारी देनी होती है। यह प्रक्रिया ऑफलाइन और ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकता है। अगर ऑफलाइन प्रक्रिया से चुनाव करने हैं तो ये प्रक्रिया कलेक्ट्रेट में पूरी होती है। वहीं, ऑनलाइन माध्यम में इस वेबसाइट https/suvidha.eci.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसमें सबसे पहले आपको रजिस्टर करना होगा। इसके बाद आप विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव लड़ सकते हैं और ऑनलाइन प्रोसेस तीन चरण में होती है। इसमें एक तो आवेदन, शपथ पत्र और तीसरा अनुमति का चरण है।