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Monday, December 2, 2024

अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजे प्रभु श्रीराम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की प्राण प्रतिष्ठा, गर्भगृह में मौजूद रहे भागवत-योगी-आनंदीबेन

AYODHYA. अयोध्या. एजेंसी।
अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला के आगमन का इंतजार खत्म हो गया। 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्रभु राम के पांच साल के बाल स्वरूप मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में पीएम नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदी बेन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यजमान बने। दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड के अभीजीत मुहूर्त में मंत्रोच्चार के साथ रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई।

प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के बाद पहली आरती भी संपन्न हुई। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग और मृगशिरा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बना, जो अत्यंत शुभ माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर मुख्य यजमान हल्के पीले रंग की धोती और कुर्ता पहनकर 12 बजे मंदिर में पहुंचे। उनके हाथ में एक थाल थी, जिसमें श्री रामलला का चांदी का छत्र था। संकल्प के साथ प्राण प्रतिष्ठा की विधि 12 बजकर 5 मिनट पर शुरू हुई, जो 1 घंटे से ज्यादा समय तक चली।

चरणामृत पीलाकर खुलवाया व्रत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान की आरती कर चंवर डुलाया। मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास से कलावा बंधवाया और उनके पैर छुए। उन्होंने श्रीरामलला की परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया। मोदी ने राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के भी पैर छुए। प्रधानमंत्री इसके बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव ने भगवान श्रीराम का चरणामृत पीलाकर उनका व्रत खुलवाया।

11 दिन के उपवास पर थे प्रधानमंत्री
बता दें कि प्रधानमंत्री 12 जनवरी से 11 दिन के उपवास पर थे। प्रधानमंत्री ने श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिन के अनुष्ठान के दौरान उपवास, जप और गाय की पूजा की। वे 11 दिन तक फर्श पर सोए और सिर्फ नारियल पानी पीकर, फल खाकर रहे। मोदी इस दौरान रामायण से जुड़े 4 राज्यों के 7 मंदिरों में दर्शन-पूजन भी किए।

8 हजार मेहमानों को किया आमंत्रित
प्राण प्रतिष्ठा में लगभग 8 हजार मेहमानों को आमंत्रित किया है। सियासत, बॉलीवुड, उद्योग, आध्यात्म और खेल से जुड़ी तमाम हस्तियों को निमंत्रण दिया गया है। 125 संत परंपरा के चार हजार धर्मगुरुओं को एक श्रेणी में रखा गया है। चारों पीठों ज्योर्तिमठ, गोवर्धन, शारदा और श्रृंगेरी के शंकराचार्यों के साथ संन्यासी और वैरागियों के 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि और महामंडलेश्वर को न्यौता दिया गया था। तिरुपति, वैष्णो देवी और काशी विश्वनाथ मंदिर समेत देश के सभी प्रसिद्ध मठ-मंदिरों के 200 ट्रस्टी भी समारोह के साक्षी बने हैं।

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