रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ का मरवाही विधानसभा सीट हमेशा सुर्खियों में रहा। मध्य प्रदेश के समय भी यह काफी चर्चित रहा और आज भी है। इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का चुनावी क्षेत्र होने का गौरव हासिल है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले का मरवाही विधानसभा क्षेत्र मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। मरवाही विधानसभा के इतिहास की बात की जाए तो एक बड़ा दिलचस्प और रोचक तथ्य निकलकर आता है। मरवाही को दलबदलू विधायकों का क्षेत्र भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत बड़े आदिवासी नेता भंवर सिंह पोर्ते से हुई, जिन्होंने 1972, 1977 और 1980 के चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई, लेकिन 1985 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के दीनदयाल ने यह चुनाव जीता।
अपनी टिकट कटने से नाराज भंवर सिंह ने 1990 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते भी, लेकिन 1993 में एक बार फिर उनका टिकट भाजपा ने काट दिया। हालांकि यह चुनाव कांग्रेस के पहलवान सिंह मरावी ने जीता। भंवर सिंह पोर्ते टिकट कटने की वजह से भाजपा से भी रूठ गए और 1998 का चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा, लेकिन वो बुरी तरह से हारे और यह चुनाव बीजेपी के रामदयाल उइके ने जीता। राज्य बनने के बाद 2001 में एक हैरतअंगेज सियासी घटनाक्रम के तहत रामदयाल उइके न केवल कांग्रेस में शामिल हो गए, बल्कि इस्तीफा देकर यह सीट अजीत जोगी के लिए छोड़ दी। तब से यह सीट अजीत जोगी के परिवार के पास थी। अजीत जोगी के निधन के बाद हुए उप-चुनाव में यह सीट कांग्रेस पार्टी के पास चली गई। के.के. ध्रुव ने भाजपा प्रत्याशी को बड़े अंतर से चुनाव हराया। कांग्रेस ने वर्तमान विधायक केके ध्रुव पर फिर भरोसा जताया है, वहीं भाजपा ने नया प्रत्याशी प्रणव कुमार मरपच्ची को टिकट दिया है। अब इस सीट पर किसका कब्जा होगा यह 3 दिसंबर को पता चलेगा।
जननेता अजीत जोगी का गढ़ रहा मरवाही
मरवाही पहले बिलासपुर जिले का हिस्सा था। अब नया जिला है। मरवाही देखने-सुनने में भले ही बिल्कुल सामान्य सा नजर आए, लेकिन सियासत में इसकी पहचान बेहद खास विधानसभा के तौर पर होती है। कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का यह चुनावी क्षेत्र रहा है। जोगी यहां से बड़े अंतर से तीन चुनाव जीते। अजीत जोगी के जीवित रहते तक राजनीतिक जानकार यही कहते थे कि मरवाही में जोगी का जादू चलता है। मरवाही के पिछले 5 चुनाव में मुकाबला एकतरफा ही हुए हैं। यहां अजीत जोगी और अमित जोगी ने कांग्रेस की टिकट पर बड़े अंतर से चुनाव जीते। 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के उदय के बाद अजीत जोगी 46 हजार मतों से जीते थे।
कांग्रेस-11, BJP-2 और JCCJ की एक बार जीत
सन 1967 में पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। मरवाही में दो उपचुनाव सहित कुल 14 चुनाव हुए हैं, जिसमें कांग्रेस 11, भाजपा 2 और जेसीसीजे ने एक बार चुनाव जीता है। 2001 के बाद से यह विधानसभा जोगी की होकर रह गई। 2003, 2008 में अजीत जोगी यहां से विधायक रहे। 2013 में उन्होंने अपनी टिकट अपने बेटे अमित जोगी को दे दी, जिन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। 2018 में अजीत जोगी फिर मरवाही से विधायक बने। मरवाही का राजनीतिक इतिहास बताता है, यहां भले ही दो बार भाजपा के विधायक बने हैं, लेकिन इसकी तासीर कांग्रेसी ही है।
जोगी के लिए विधायक ने छोड़ दी थी सीट
राज्य बनने के बाद अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री बने और 2001 में मरवाही से भाजपा विधायक रामदयाल उइके ने कांग्रेस सरकार के सीएम के लिए अपना इस्तीफा दे दिया। राज्य बनने के पहले साल ही यहां उपचुनाव हुए जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भाजपा प्रत्याशी अमर सिंह को 51 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया। 1998 में विधानसभा का आम निर्वाचन हुआ था इसलिए 2003 में फिर से चुनाव हुए। इस बार भी अजीत जोगी ने भाजपा के दमदार नेता नंदकुमार साय को 54 हजार 150 वोटों से हराकर एकतरफा जीत हासिल की। इसके बाद 2008 में अजीत जोगी ने भाजपा के ध्यान सिंह को 42 हजार वोटों से हराया।
अमित जोगी भी रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीते
2013 में अजीत जोगी ने मरवाही से अपने बेटे अमित जोगी को प्रत्याशी बनाया। अमित ने भी अजीत तरह एकतरफा 46,250 वोटों से जीत हासिल की। अमित को जहां 82,909 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी समीरा पैकरा को 36,659 वोट ही मिले। वहीं साल साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के निशान से सहारे मैदान में उतरे। जोगी ने 46 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। यहां से भाजपा प्रत्याशी अर्चना पोर्ते 27 हजार वोटों के साथ दूसरे और कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब सिंह राज 20 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
चुनाव परिणाम एक नजर में
2001 : अजीत जोगी ( कांग्रेस) 51 हजार वोटों से भाजपा के अमर सिंह से जीते
2003 : अजीत जोगी (कांग्रेस) 76269 वोट मिले। नंदकुमार साय (भाजपा) 22119- जीत 54 हजार से।
2008 : अजीत जोगी (कांग्रेस) 67523 वोट मिले। ध्यान सिंह पोर्ते (भाजपा) 25431- जीते 46 हजार से।
2013 : अमित जोगी (कांग्रेस) 82909 वोट मिले। समीरा पैकरा (भाजपा) 36659 – जीते 46 हजार से।
2018 : अजीत जोगी JCCJ से अर्चना पोर्ते (भाजपा) को 46 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।