Chhattisgarh assembly election 2023: रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की सियासी गरमी बढ़ती जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस (Congress), आम आदमी पार्टी (AAP) समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों ने अपनी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने 21, बहुजन समाज पार्टी ने 9, ‘आप’ ने 10 और शिवसेना ने 20 प्रत्याशियों का ऐलान भी कर दिया है। कांग्रेस में अभी टिकट को लेकर मंथन और मंत्रणा का दौर जारी है। जीताऊ कैंडिडेट और कुछ सिटिंग MLA की टिकट कटने की चर्चा ने उम्मीदवारों की टेंशन बढ़ा दी है। वहीं कांग्रेस इससे पहले भी कई बार आधे से ज्यादा विधायकों की टिकट काट चुकी है, हालांकि पार्टी को अपने इन फैसलों का फायदा और नुकसान दोनों हुआ है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में अभी कांग्रेस की मजबूत सरकार है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा जाएगा। कांग्रेस के पास अभी 90 में से 71 सीट है। कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस के अंदरुनी सर्वे (Congress Survey) में जो परिणाम आया है, उसके अनुसार पार्टी के 30 से ज्यादा विधायक हार सकते हैं, इसलिए कांग्रेस मौजूदा विधायकों के टिकट काटने का जोखिम उठाने की बजाय टिकट वितरण में देरी कर रही है। ऐसी खबर है कि कांग्रेस पार्टी इस बात को लेकर मंथन कर रही है कि आचार संहिता लगने के बाद टिकटों की घोषणा की जाए, ताकि मौजूदा विधायकों की नाराजगी का ज्यादा नुकसान पार्टी को ना उठाने पड़े।
छत्तीसगढ़ में जीत से MP में बनती रही सरकार
छत्तीसगढ़ 1952 से लेकर 2000 तक अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा रहा है। उस दौरान हुए 10 चुनाव में कांग्रेस को छत्तीसगढ़ से ज्यादा सीटें मिलने की वजह से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती रही हैं। सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना। इसके बाद 2003 से 2018 तक प्रदेश में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा 68 सीट जीत कर सरकार बनाई है। उपचुनाव में मिली जीत से अभी कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं। कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मीडिया में यह बयान दे चुके हैं कि उम्मीदवारों की घोषणा तय समय पर होगी। हम कोई जल्दबाजी में नहीं है। वहीं उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव भी उम्मीदवारों की घोषणा पर कह चुके हैं कि सिर्फ एक टिकट फाइनल है और बाकी सीटों पर मंथन जारी है।
इस बार 20 से ज्यादा टिकट काटने की चर्चा
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से छत्तीसगढ़ कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन 2003 से 2018 के बीच बहुत कम अंतर से भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी। पिछले कुछ चुनावों को देखें तो कांग्रेस सिटिंग विधायकों की टिकट काटने में गुरेज नहीं करती रही है। कुछ अध्ययन और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह बात साफ होती है कि कांग्रेस 1952 से अब तक हुए चुनाव में कई बार आधे से ज्यादा विधायकों की टिकट काट चुकी है, हालांकि पार्टी को अपने इन फैसलों का फायदा और नुकसान दोनों उठाना पड़ा है। 2023 के चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी द्वारा 20 से ज्यादा सिटिंग विधायकों की टिकट काटे जाने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में है।
कांग्रेस ने कब-कब काटी विधायकों की टिकट
- अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 1952 के चुनाव में 82 सीटों में से 73 पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें 57 जीत कर आये और सरकार बनाने में छत्तीसगढ़ की अहम भूमिका रही।
- 1957 में अगला चुनाव हुआ, जिसमें छत्तीसगढ़ में 82 की जगह 81 सीट हो गईं। कांग्रेस ने उस समय 57 विधायकों में 29 सिटिंग विधायकों की टिकट काट दी थी, जबकि 28 पुराने विधायकों में 22 जीत कर आये और 6 हार गए। इस चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थी।
- 1967 के चुनाव में 48 सीट में से कांग्रेस ने 31 विधायकों की टिकट काट दी थी, इस चुनाव में छत्तीसगढ़ की 81 सीट से बढ़कर 84 हो गई थी, जिसमें कांग्रेस ने 59 सीटें जीती थीं।
- 1972 के चुनाव में 59 सीट में 28 विधायकों की टिकट कांग्रेस ने काट दी थी, इस चुनाव में कांगेस ने 64 सीट जीती।
- 1977 में पार्टी ने 38 सीटों पर सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए थे फिर भी कांग्रेस को 39 सीट मिली थीं।
- 1993 से लेकर 2018 तक के चुनाव में कांग्रेस ने सिटिंग विधायकों की कम टिकट काटी।
- 2018 के विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस ने सिर्फ 8 टिकट काटी थी और कांग्रेस ने 68 सीट में जीत दर्ज की थी।