कवर्धा. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा को कवर्धा जिला न्यायालय ने 2021 से लंबित एट्रोसिटी एक्ट में दोषमुक्त कर दिया है। आम लोगों के राशनकार्ड बनवाने के मामले को लेकर विजय शर्मा जिला खाद्य कार्यालय पहुंचे थे। उसी दौरान खाद्य अधिकारी ने विजय शर्मा और कैलाश चंद्रवंशी पर कार्यालय पहुंचकर गुंडागर्दी करने और जातिसूचक गाली देने संबंधी प्राथमिकी दर्ज कराई थी। गुरुवार को जिला न्यायालय में फैसला सुनाया, जिसमें दोनों को दोषमुक्त किया गया है।
जिला न्यायालय में अंतरिम सुनवाई के दौरान जिला सत्र न्यायाधीश सत्यभामा अजय दुबे ने फैसला सुनाते हुए विजय शर्मा को दोषमुक्त करार दिया। डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि तात्कालीन मंत्री की शह पर हम पर फर्जी एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। आज सच सबके सामने आ गया है। कोर्ट से बाहर आते ही विजय शर्मा ने सबसे पहले सत्य मेव जयते कहा, फिर उन्होंने पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया। आज न्यायालय का फैसला आया है।
षड़यंत्र रचकर हत्या करने की थी साजिशः वकील
डिप्टी सीएम विजय शर्मा के अधिवक्ता पोखराज परिहार ने पूरे मामले को राजनीतिक बताया। विजय शर्मा को जमानत ना मिले इसी के चलते राजनीतिक षड्यंत्र कर अपनी राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग करते हुए एट्रोसिटी का झूठा आरोप लगाया गया था। उस समय वांटेट की तरह बर्ताव किया जा रहा था। किसी तरह की दुर्घटना करके जीवन को समाप्त करने का षड़यंत्र था, ताकि कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी न रहे। न्यायालय ने आज अपना फैसला सुनाया है।
नई एफआईआर में पुराना मामला भी जोड़ दिया
दरअसल, FIR में विजय शर्मा और कैलाश चंद्रवंशी के खिलाफ भी नामजद रिपोर्ट लिखी गई थी। पुलिस ने जब दोनों को गिरफ्तार किया तो पुलिस ने खाद्य अधिकारी पर जातिसूचक गालीगलौच के आरोप में एट्रोसिटी एक्ट की धारा भी लगा दिया था, जिसकी वजह से दोनों को उपद्रव मामले में जमानत मिल गई, लेकिन 15 दिनों तक कवर्धा और रायपुर की जेल में रहना पड़ा। जब दोनों जमानत पर बाहर आए तो तीन साल केस चला, जिसमें दोनों को अब आरोप मुक्त किया गया है। कोर्ट का फैसला आने के बाद विजय शर्मा ने इसे सच्चाई की जीत बताया।