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Friday, July 26, 2024

देश में सिर्फ एक जाति ‘गरीब’ तो खुद को ओबीसी क्यों कहते हैं पीएम मोदी, राहुल गांधी का बीजेपी पर हमला

रायपुर.न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि यदि वह कहते हैं कि देश में सिर्फ एक ही जाति ‘गरीब’ है तब वह खुद को बार-बार ‘ओबीसी’ क्यों कहते हैं? गांधी ने शनिवार को जगदलपुर और खरसिया में चुनावी रैली को संबोधित करते कहा कि भाजपा के नेता आदिवासियों को वनवासी इसलिए कहते हैं, क्योंकि वह आदिवासियों को दिखाना चाहते हैं उनकी जगह कहां होनी चाहिए। पीएम मोदी को गरीबों की नहीं बल्कि अडानी जैसे अमीरों की चिंता है। पीएम मोदी की गारंटी सिर्फ झूठ है। 15 लाख खाते में नहीं आए, जीएसटी से किसे फायदा हुआ, नोटबंदी से कालाधन नहीं आया, काले कृषि कानून से किसे फायदा पहुंचाने चाहते थे।

कांग्रेस नेता ने आदिवासी बाहुल्य बस्तर जिले में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, ”आज अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा की हिंदुस्तान में एक ही जाति है। वह हिंदुस्तान का गरीब है। वह कह रहे हैं कि इस देश में ना दलित है, ना आदिवासी है और ना पिछड़े हैं। हम सब जानते हैं कि इस देश में आदिवासी हैं, आदिवासी भाषाएं हैं, आदिवासी संस्कृति हैं और आदिवासी इतिहास है। यहां दलित हैं, दलितों के साथ अपमान किया जाता है, उन्हें हर रोज तंग किया जाता है। पिछड़ों को जो हक मिलना चाहिए वह नहीं मिलता। लेकिन हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री कहते हैं कि हिंदुस्तान में सिर्फ एक जाति है, वह गरीब है। यदि एक ही जाति है तो फिर आप अपने आप को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) क्यों कहते रहते हैं। हर भाषण में क्यों कहते रहते हैं कि मैं ओबीसी हूं।”

जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का हक
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को दुर्ग जिले में आयोजित चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि उनके लिए देश में सबसे बड़ी जाति ‘गरीब’ है और वह उनके ‘सेवक’ हैं। विरोधी राजनीतिक दल गरीबों को बांटने और जातिवाद का जहर फैलाने के लिए नयी-नयी साजिशें रच रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा के नेता आदिवासियों को वनवासी कहते हैं। मोदी और आरएसएस के लोगों ने और भाजपा नेताओं ने आदिवासियों के लिए नया शब्द निकला है वनवासी। आदिवासी और वनवासी शब्द में बहुत बड़ा फर्क है… आदिवासी का मतलब है कि जो इस देश के पहले असली मालिक हैं। आदिवासी का मतलब होता है देश का जल, जंगल और जमीन एक दिन आपका हुआ करता था… भाजपा इस शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहती है, क्योंकि यदि भाजपा इस शब्द का प्रयोग करेगी को उसे आपके जल, जंगल, जमीन आपको वापस देनी होगी।

राहुल ने मध्य प्रदेश की घटना का जिक्र किया
गांधी ने मध्यप्रदेश में एक भाजपा नेता द्वारा कथित तौर पर एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने की घटना का जिक्र करते हुए कहा, ”कुछ समय पहले भाजपा के मध्य प्रदेश के एक नेता ने एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब किया था….बाद में उस वीडियो को उसने वायरल कर दिया। अब आप सोचिए उनकी विचारधारा के बारे में…वे आदिवासियों को यह दिखाना चाहते हैं कि उनकी जगह कहां होनी चाहिए। इसलिए उन्होंने आपके लिए वनवासी शब्द निकाला है। ये सोचते हैं कि आपकी जगह जंगल में है जहां जानवर रहते हैं, वैसी (ही) आपकी जगह होनी चाहिए।

देश को पीएम मोदी और 90 लोग चला रहे
राहुल गांधी ने ने सवाल किया, क्या उन्होंने कभी किसी भाजपा के नेता को किसी जानवर के ऊपर पेशाब करते हुए देखा है, लेकिन आपने उन्हें आदिवासियों पर पेशाब करते हुए देखा है। गांधी ने कहा, पहले मोदी जी अपने भाषणों में वनवासी शब्द का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब इस शब्द से परहेज करते हैं। उन्होंने अपने शब्द तो बदल लिए हैं, लेकिन अपनी सोच नहीं बदल सकते। उनकी सोच अब भी आदिवासियों का अपमान करने की है। राहुल गांधी ने कहा कि देश को पीएम मोदी और 90 लोग चला रहे हैं। ओबीसी पर बजट का सिर्फ 5 मामलों में ओबीसी निर्णय लेते हैं, जबकि आदिवासियों के मामले में 10 पैसे का निर्णय आदिवासी अफसर लेते हैं। हम हर बार कहते हैं जाति जनगणना करा कराईये। लेकिन प्रधानमंत्री अब ओबीसी बोलने से बचने लगे हैं।

राहुल ने बताया, मोदी जी क्या करते हैं?
राहुल गांधी ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ”मोदी जी क्या करते हैं? वह कहते हैं अपनी जमीन अडाणी जी को दे दो? अडाणी जी आपकी जमीन छीन लेते हैं और जब आप विरोध करते हैं तो भाजपा सरकार आप पर गोलियां चलवाती है। अडाणी जी आपकी जमीन और खदानों पर कब्जा कर लेते हैं। राहुल गांधी ने कहा, क्या वह पैसा छत्तीसगढ़ या बस्तर के गांवों तक पहुंचता है? पैसा अमेरिका जाता है, विदेश चला जाता है। उस पैसे से अडाणी जी को फायदा मिलता है। भाजपा नेताओं को यह (पैसा) मिलता है। और पैसे का इस्तेमाल चुनाव के लिए किया जाता है। कांग्रेस पार्टी किसान, मजदूरों के जेब में पैसा डालती है, जिससे गांव की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। स्थानीय स्तर पर छोटे व्यापारियों को लाभ मिलता है और छत्तीसगढ़ का पैसा छत्तीसगढ़ में रहता है।

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