रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने 7 उम्मीदवारों की तीसरी और अंतिम सूची रविवार को देर शाम जारी कर दी। कांग्रेस ने सभी 90 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की ऐलान कर दिया है। इस सूची में 4 विधायकों का टिकट काटा गया है, जिसमें कसडोल, सरायपाली, महासमुंद, सिहावा विधानसभा सीट शामिल है। इस सूची के बाद कांग्रेस की तस्वीर लगभग साफ हो गई है। कांग्रेस ने पहली सूची में 8, दूसरी सूची में 10 और तीसरी सूची में 4 विधायकों का टिकट काटा है। इस तरह कांग्रेस ने 2023 के चुनावी महासमर में कुल 22 सीटिंग विधायकों को किनारे लगा दिया। कांग्रेस में टिकट काटने की परिपाटी इससे पहले के चुनावों में भी देखने को मिलती रही है।
बता दें कि 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास वर्तमान में 71 विधायक हैं। कांग्रेस पार्टी ने सर्वे रिपोर्ट में कमजोर मिले विधायकों का टिकट काट दिया है। कांग्रेस ने इस बार मौजूदा 22 विधायकों का साइट लगाया और उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया गया है। सिटिंग विधायकों की टिकट कटने का भारी विरोध भी हो रहा है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक सिटिंग विधायक खुलकर बगावत का झंडा बुलंद कर रहे हैं। अंदर ही अंदर निर्दलीय या किसी और पार्टी से जुड़कर टिकट का जुगाड़ लगाया जा रहा है। कुछ विधायकों ने तो खुलकर विरोध भी किया और दिग्गज नेताओं पर भाजपा से सांठगांठ कर टिकट बांटने का आरोप भी जड़ दिया। बहरहाल, रूठे विधायकों का मनाने का दौर भी चल रहा है।
छत्तीसगढ़ में जीत से MP में बनती रही सरकार
छत्तीसगढ़ 1952 से लेकर 2000 तक अविभाजित मध्य प्रदेश का हिस्सा रहा है। उस दौरान हुए 10 चुनाव में कांग्रेस को छत्तीसगढ़ से ज्यादा सीटें मिलने की वजह से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती रही हैं। सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना। इसके बाद 2003 से 2018 तक प्रदेश में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा 68 सीट जीत कर सरकार बनाई है। उप-चुनाव में मिली जीत से अभी कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं।
पार्टी को फायदा और नुकसान दोनों उठाना पड़ा
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से छत्तीसगढ़ कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है, लेकिन 2003 से 2018 के बीच बहुत कम अंतर से भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी। पिछले कुछ चुनावों को देखें तो कांग्रेस सिटिंग विधायकों की टिकट काटने में गुरेज नहीं करती रही है। कुछ अध्ययन और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह बात साफ होती है कि कांग्रेस 1952 से अब तक हुए चुनाव में कई बार आधे से ज्यादा विधायकों की टिकट काट चुकी है, हालांकि पार्टी को अपने इन फैसलों का फायदा और नुकसान दोनों उठाना पड़ा है।
2023 के चुनाव में इन विधायकों की टिकट काटी गई
- नवागढ़ – गुरुदयाल बंजारे
- पंडरिया – ममता चंद्राकर
- डोंगरगढ़ – भुवनेश्वर बघेल
- खुज्जी – छनी साहू
- अंतागढ़ -अनूप नाग
- चित्रकोट – राजमन बेंजाम
- दंतेवाड़ा – देवती कर्मा
- कांकेर – शिशुपाल सोरी
- बिलाईगढ़ – चंद्रदेव राय
- धरसीवां – अनिता शर्मा
- रायपुर ग्रामीण- सत्यनारायण शर्मा
- जगदलपुर – रेखचंद जैन
- मनेंद्रगढ़ – विनय जायसवाल
- प्रतापपुर – प्रेमसाय सिंह टेकाम
- रामानुजगंज – बृहस्पति सिंह
- सामरी – चिंतामणी महाराज
- लैलूंगा – चक्रधर सिदार
- पाली-तानाखार – मोहित केरकेट्टा
- सिहावा – लक्ष्मी ध्रुव
- कसडोल – शंकुतला साहू
- सरायपाली – किस्मत लाल नंद
- महासमुंद – विनोद चंद्राकर
कांग्रेस ने कब-कब काटी विधायकों की टिकट
- अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 1952 के चुनाव में 82 सीटों में से 73 पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें 57 जीत कर आये और सरकार बनाने में छत्तीसगढ़ की अहम भूमिका रही।
- 1957 में अगला चुनाव हुआ, जिसमें छत्तीसगढ़ में 82 की जगह 81 सीट हो गईं। कांग्रेस ने उस समय 57 विधायकों में 29 सिटिंग विधायकों की टिकट काट दी थी, जबकि 28 पुराने विधायकों में 22 जीत कर आये और 6 हार गए। इस चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थी।
- 1967 के चुनाव में 48 सीट में कांग्रेस ने 31 विधायकों की टिकट काट दी थी, इस चुनाव में छत्तीसगढ़ की 81 सीट से बढ़कर 84 हो गई थी, जिसमें कांग्रेस ने 59 सीटें जीती थीं।
- 1972 के चुनाव में 59 सीट में 28 विधायकों की टिकट कांग्रेस ने काट दी थी, इस चुनाव में कांगेस ने 64 सीट जीती।
- 1977 में पार्टी ने 38 सीटों पर सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए थे फिर भी कांग्रेस को 39 सीट मिली थीं।
- 1993 से लेकर 2018 तक के चुनाव में कांग्रेस ने सिटिंग विधायकों की कम ही टिकट काटी।
- 2018 के विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस ने सिर्फ 8 टिकट काटी थी और कांग्रेस ने 68 सीट में जीत दर्ज की थी।
- 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 22 सिटिंग विधायकों की टिकट काट दी है।