दुर्ग. न्यूजअप इंडिया
दुर्ग जिले के खेदामारा गांव में तालाब गहरीकरण के नाम पर अवैध मुरम की खुदाई और परिवहन बेधड़क जारी है। तालाब के अंदर से लेकर पार तक को भी नहीं छोड़ा गया है। कुछ ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को सेट कर खनन माफिया इस पूरी गड़बड़ी को अंजाम दे रहे हैं। तालाबों से मुरम निकासी की अनुमति नहीं है, बावजूद भिलाई-दुर्ग तक मुरम का परिवहन कर दिया गया है। खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में यह पूरा काम चल रहा है।
अवैध मुरूम खनन में कुछ ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदिग्ध है। तालाब में जेसीबी और चैन माउनटेन मशीन से बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया गया। ग्रामीण बताते हैं कि महीनेभर से मशीनों से मुरम का उत्खनन हो रहा है। कई सौ ट्रिप लाल मुरम गांव से बाहर परिवहन कर बेच दिया गया। रायल्टी की चोरी की जा रही है। शासन और पंचायत को लाखों का चूना लगाया जा चुका है। कुछ ग्रामीण बताते हैं कि पंचायत प्रतिनिधियों की मिलीभगत से खनन हो रहा है। जामुल के ट्रांसपोर्टर द्वारा खनन किया जा रहा है। अवैध खुदाई की जांच कराने कलेक्टर को आवेदन देंगे।
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खनिज अफसरों की निष्क्रियता हो रही उजागर
खनिज विभाग के कर्ताधर्ताओं की निष्क्रियता और संरक्षण की वजह से खनन माफियाओं के हौसले बुलंद है। जिले में खेदामारा गांव ही नहीं बल्कि कई गांवों में ऐसे खनन आपको देखने को मिल जाएंगे। दिन में बहुत कम गाड़ियां निकलती है, लेकिन रात के समय सैकड़ों ट्रिप अवैध मुरुम परिवहन को अंजाम दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार मुरम के अवैध खनन में ग्रामीण जनप्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारियों की सांठगांठ की खुलेआम चर्चा है।
कितना मुरम बाहर खपाया जांच होनी चाहिए
तालाब से निकलने वाली मिट्टी और मुरम को गांव में ही उपयोग करने के निर्देश हैं, लेकिन खनन माफियाओं की मिलीभगत से तालाब से निकले मुरम का उपयोग गांव से बाहर किया गया। इसके लिए खनिज विभाग से कोई परमिशन नहीं लिया गया है। विभागीय अधिकारी भी इस तरफ कोई ध्यान देते, क्योंकि पूरा मामला सेट है। नियम कायदों के विपरीत हो रहे गहरीकरण की आड़ में अवैध मुरम खनन और परिवहन की जांच कराने की मांग अब उठने लगी है। ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे अवैध खनन की जांच की जाएगी तो करोड़ों रुपये की राजस्व चोरी का मामला उजागर होगा।
मुरम चोरी का ऐसे खेला जाता है खेल
जिस ग्राम पंचायत में अवैध खनन करना होता है, वहां पर माइनिंग माफिया गांव के जनप्रतिनिधियों को सेट करते हैं। गहरीकरण का पंचायत प्रस्ताव तैयार करवाते हैं। इसकी आड़ में मुरम चोरी का खेल खेला जाता है। खुदाई के पहले गाद या दलदल को किसानों के खेतों या गांव के धरसा सड़क पर डाल देते हैं। इसके बाद जेसीबी से मुरम खोदकर स्टाक बनाते हैं। अगर आपत्ति होती है तो उसे ओवर बर्डन मुरम बताकर रायल्टी के लिए खनिज विभाग में आवेदन कर देते हैं। खेदामारा तालाब में ग्रामीणों को झांसे में रखकर लाखों रुपये की कई ट्रिप मुरम का परिवहन किया जा चुका है।
गहरीकरण के नाम पर मौत का कुआं बना रहे
दुर्ग जिले में अवैध खनन का आलम यह है कि खनन माफियाओं द्वारा कहीं पर भी शासकीय भूमि को खोद दिया जा रहा है। तालाबों को गहरीकरण के नाम पर मौत का कुआं बना दिया जाता है। अल्प वर्षा और भीषण गर्मी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अभी ज्यादातर तालाब सूख चुके हैं। ऐसी स्थिति में गांव के सूख चुके तालाबों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि खनिज विभाग को इसकी जानकारी नहीं है। पूरा मामला सेटिंग से चल रहा है। कुछ शिकायतें भी हुई, लेकिन आदर्श आचार संहिता में चुनावी ड्यूटी की बात कहकर संबंधित ने पल्ला झाड़ लिया।