बिलासपुर. न्यूजअप इंडिया
कौन कहता है, जानवरों में संवेदना नहीं होती, इमोशन नहीं होते, अपनापन नहीं होता… कम से कम बंदरों की इस टोली ने तो ऐसे तमाम दावों को खोखला साबित कर दिया है। करंट से एक बंदर की मौत के बाद उस बंदर के अंतिम संस्कार में दर्जनभर से ज्यादा बंद पहुंच गए। मृत बंदर के शरीर को ग्रामीण दफना रहे थे और बाकी बंदर छत पर बैठे सब देखते रहे। इस दौरान बंदरों ने कोई मस्ती नहीं की, कोई शोर शराबा भी नहीं किया।
यह बात बिलासपुर जिले के कोटा का है। डाक बंगला चौक पर स्थित न्यू जया इंटरप्राइजेज के सामने एक बंदर हाई वोल्टेज तार की चपेट में आ गया। इस हादसे में उस बंदर की मौत हो गई। स्थानीय हिंदू संगठनों ने बंदर के शव को दफनाने की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन यह क्या… जिस जगह पर मृत बंदर को दफनाने के लिए ले जाया गया, उसकी टोली के दर्जनभर से ज्यादा बंदर वहां पर पहुंच गए। बंद एक बिल्डिंग पर बैठकर यह सब कुछ देखते रहे।
मृत बंदर के शरीर को दफानाने के नेक कार्य में उपस्थिति योगेश साहू, राहुल सिंह, मनीष कौशिक, सूरज साहू, यश चौकसे आदि ने बताया कि इससे पहले उन्होंने जानवरों का ऐसा भावनात्मक दृश्य कभी नहीं देखा। जब हम लोग उसे दफनाकर चले गए, उसके बाद भी काफी समय तक बंदरों की टोली वहां मौजूद रही। इस दौरान वहां बंदरों ने कोई मस्ती नहीं की, कोई शोर शराबा नहीं किया, मानो अपने साथी के बिछुड़ने पर गमगीन हों और उसे अंतिम विदाई दे रहे हों।