न्यूजअप इंडिया. भोपाल
सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वालीं मध्य प्रदेश की पूर्व डिप्टी कलेक्टर (SDM) निशा बांगरे का कुछ ही महीनों में राजनीति से मोह भंग हो गया है। अब वे फिर से सरकारी नौकरी करना चाहती हैं। कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया था, लेकिन अब वह फिर नौकरी करना चाहती हैं। विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने से उनका राजनीति से मोह भंग हो गया है।
निशा बांगरे ने राज्य शासन से अपना पद वापस मांगा है। निशा ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है, जिसमें इस बात का जिक्र किया है कि उन्हें डिप्टी कलेक्टर का पद वापस चाहिए। त्याग-पत्र देने के बाद राष्ट्र एवं जनहित को ध्यान में रखते हुए आवेदिका ने विधानसभा चुनाव-2023 में प्रत्याशी के रूप में भाग लेने के लिए 2/09/23 को त्याग-पत्र स्वीकार किए जाने के लिए आवेदन दिया, लेकिन त्याग-पत्र 23/10/23 को स्वीकार किया गया।
आवेदिका के वकील को आदेश 24 अक्टूबर 2023 को अवकाश के दिन बुलाकर दिया गया और 26 अक्टूबर 2023 को ई-मेल के माध्यम से त्याग-पत्र स्वीकार होने का आदेश आवेदिका को प्राप्त हुआ। यही वजह रही कि आवेदिका को शासकीय अवकाश होने से मात्र दो दिवस (दिनांक 27/10/23 एवं 30/10/23) मिले थे, जिसके कारण आवेदिका विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र के साथ जमा किए जाने वाले दस्तावेज (अदेयता प्रमाण-पत्र इत्यादि) नहीं जुटा पाई और नामांकन-पत्र नहीं भर पाई, जिस आधार पर त्याग पत्र स्वीकार किया गया था, वह परिस्थिति बन नहीं पाई।
कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने वाली थी निशा
बता दें कि इस्तीफा स्वीकार कराने निशा बांगरे ने शिवराज सरकार के सामने बड़ा आंदोलन खड़ा किया था। बैतूल से भोपाल तक पदयात्रा निकाली थी। इस दौरान भोपाल के एमपी नगर स्थित बोर्ड ऑफिस पर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास पुलिस से नोकझोंक भी हुई थी, जिसमें निशा के कपड़े भी फट गए थे और जेल भी जाना पड़ा था। सही समय पर उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ और कांग्रेस को बैतूल की अमला सीट से दूसरा प्रत्याशी घोषित करना पड़ा। निशा को कांग्रेस ने प्रदेश प्रवक्ता बनाया था, लेकिन अब निशा बांगरे फिर सरकारी नौकरी में जाना चाहती हैं।