25.1 C
Raipur
Saturday, July 27, 2024

‘भूपेश सरकार में सरकारी तंत्र मेरे खिलाफ था’, TS सिंहदेव बोले- विधायकों को तोड़ने की कोशिश की गई, चिंतामणि को टिकट देने के पक्ष में था

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के बाद पूर्व डिप्टी CM और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने पहला इंटरव्यू दिया। सिंहदेव ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने को लेकर दिए बयान पर कहा कि प्रशासनिक तंत्र उनके खिलाफ था। अफसर उनके और कांग्रेस पदाधिकारियों के खिलाफ काम कर रहे थे। उनसे जुड़े विधायकों को तोड़ने एक व्यक्ति ने संपर्क किया था। वे चिंतामणि महाराज को टिकट देने के पक्ष में थे। विधानसभा चुनाव में मिली हार, लोकसभा चुनाव की स्थिति और उन बातों पर भी बेबाकी से चर्चा की, जिस पर सार्वजनिक टिप्पणी करने से वे हमेशा बचते रहे। पढ़िए दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार गुप्ता द्वारा लिया गया इंटरव्यू…

सवाल : विधानसभा चुनाव के पहले आप कहते रहे कि चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। आप चुनाव लड़े और परिणाम आपके अनुरूप नहीं आए। अब क्या आपको लगता है कि चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय सही था?
सिंहदेव : वह निर्णय तो सही था। मेरे और कांग्रेस से जुड़े लोगों के खिलाफ प्रशासन काम कर रहा था। तत्कालीन कलेक्टर झा (संजीव झा) ने प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों की तय सीमाओं को लांघ कर यह कहा कि इनके खिलाफ रिपोर्ट आई है, जांच करेंगे, कार्रवाई करेंगे। कैबिनेट में नाम के लिए ही मान लीजिए कि जो नंबर टू का मंत्री, मुख्यमंत्री के बाद जिनका नाम प्रोटोकॉल में लिखा रहता था। उस परिस्थिति में प्रशासन का प्रमुख अधिकारी, कलेक्टर ऐसा बयान दे रहे थे, वह अनुकूल नहीं था।
अपने साथ के जो लोग थे, उनको भी पीड़ा हो रही थी। उनके काम नहीं होने दिया जा रहा था। कई जगह बोला जा रहा था कि, वहां का नहीं करेंगे, कहीं और से लिखवाकर लाओ। ये परिस्थिति बनी थी। इसमें अपने साथ के सीनियर विपरीत तौर पर प्रभावित हो रहे थे। हम अपना और उनका काम कराने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे। इसलिए मैंने निर्णय किया था कि अब समय आ गया है कि मुझे जन प्रतिनिधित्व के क्षेत्र से हट जाना चाहिए। इसलिए मीडिया में लगातार कहा।

सवाल : क्या ऊपर से कोई इशारा था, कोई गुट आपके खिलाफ काम कर रहा था?
सिंहदेव : कहीं न कहीं तो होगा ही, ऐसे तो नहीं किया जा सकता। लगातार अलग-अलग अधिकारी आ रहे हैं और सब एक जैसा कर रहे हैं। ऐसा तो संभव नहीं है। हर अधिकारी अलग तरीके से काम करता है। कॉमन चीज उसी प्रकार से थी। सीतापुर के वरिष्ठ साथी ने एक उदाहरण बताया कि, उनके एक साथ के अधिकारी-कर्मचारी का काम था। वे बोले कि बाबा से बोलते तो हो जाता, तो उन्होंने कहा कि बाबा से कहलवाएंगे तो उल्टा हो जाएगा, किसी और से बोलवाइए। वातावरण ऐसा बना था। उन परिस्थितियों को भांप कर मेरी सोच थी कि मुझे कॉटीन्यू नहीं करना चाहिए। किसी और को जगह देनी चाहिए।

सवाल : कोल स्कैम की डायरी चर्चा में है। आपके पक्ष के विधायकों को तोड़ने के लिए उस डायरी में जो नाम हैं, उसके पैसे आए। ऐसी कोई बात आपकी जानकारी में आई क्या?
सिंहदेव : यह तो मैं नहीं जानता, लेकिन एक व्यक्ति थे, केस चल रहा है, इसलिए नाम नहीं ले रहा हूं। वे आए थे और उन्होंने भ्रमण किया। महासमुंद, चांपा-जांजगीर के कुछ साथियों को लेकर आए। फिर रायगढ़, जशपुर के कुछ साथियों को लेकर आए। फिर सामरी से सरगुजा, रामानुजगंज, लुंड्रा, प्रतापपुर, भटगांव, खेलसाय सिंह से भी मिले। अपने ही लोगों ने बताया। उनकी चेष्टा यह थी कि बाबा को छोड़ो हमारे साथ आ जाओ।

सवाल : चिंतामणि महाराज को आप कांग्रेस में लेकर आए, टिकट दिलाने व जीत में बड़ी भूमिका निभाई। अन्य विधायकों का सहयोग किया, क्या कारण बने की चिंतामणि सहित अन्य विधायक आपके विरोधी हो गए?
सिंहदेव : मैं नहीं कह सकता। वयस्क हैं, परिपक्व हैं। मेरे में कमी रही होगी। कहीं और कुछ बेहतर दिखा होगा। यह सही है कि चिंतामणि जी के लिए मैंने पहल की थी 2013 के चुनाव के समय। अपने कुछ वरिष्ठ साथियों ने कहा कि इनको टिकट देंगे तो अच्छा रहेगा। लुंड्रा से टिकट देने की बात थी। हम लोगों ने पहल की, अपनी भी राय दी। उनको टिकट मिली।

अगले पांच सालों में लुंड्रा की टिकट एकदम बिगड़ गई थी। कांग्रेस के साथी उनसे बहुत नाखुश थे। उस परिस्थिति में मैंने पहल की, उनको सामरी से टिकट देने के लिए। सामरी विधायक डॉ. प्रीतम राम से रिक्वेस्ट किया, कि आप लुंड्रा से लड़ जाइए। सबको मनाया। टिकट भी मिला। दोनों चुनाव में चिंतामणि को टिकट देने में भूमिका निभाई। 2023 के चुनाव में भी टिकट वितरण की प्रक्रिया चल रही थी, उस समय दिल्ली में छत्तीसगढ़ सदन में भूपेश, महंत, दीपक बैज जी साथ में बैठे थे। मैं भी गया। चारों ने तय किया था, बैलेंस सीट में बेस्ट कैंडिडेट ये रहेंगे। उसमें चिंतामणि का फाइनल हो गया था। CEC में बात गई तो बदलाव हो गया। एक जगह की टिकट ऐसी कटी की उसके एवज में चिंतामणि की सीट प्रभावित हो गई। मैंने पहल कर फाइनल करा दिया था।

सवाल : महादेव ऐप को लेकर आरोप लगते रहे। भाजपा ने उसे चुनावी मुद्दा बनाया। क्या आपकी जानकारी में था कि कांग्रेस या सरकार से जुड़े लोगों की इस ऐप में कहीं से भूमिका थी?
सिंहदेव : इस ऐप के बारे में मैं नहीं जानता था। इस ऐप की व्यापकता के बारे में तो बिल्कुल हवा नहीं थी। दुर्ग में कुछ हो रहा है, यह बात थी। बात आई और सरकार ने एक कानून भी विधानसभा में पारित किया कि इसे बैन किया जाएगा। इस प्रकार की गतिविधि को बैन किया गया। इसकी व्यापकता कितनी है, इसका बिल्कुल अंदाज नहीं था। अब हजारों-करोड़ों में बातें आ रही हैं। इसमें बहुत ज्यादा पैसे बन रहे थे। आज भी बात है तो कार्रवाई होनी चाहिए। किसी भी मुद्दे में कोई बात आती है, कुछ गड़बड़ है तो जांच हो तो कार्रवाई हो। अगर ऑटो में पैसे पहुंचाए जा रहे हैं तो जो भेज रहा है, उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। तब देश में संवैधानिक तंत्र निष्पक्ष तरीके से चल रहा है। कोई भी प्रकरण हो निष्पक्ष और तथ्यात्मक जांच हो। कानून के दायरे में जो बनता है कार्रवाई होनी चाहिए।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here