Aditya L1 Mission launch: नई दिल्ली। भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार की सुबह 11:50 बजे सूर्य का अध्ययन करने आदित्य L-1 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। आदित्य L-1 मिशन चंद्रयान-3 मिशन के समान दृष्टिकोण अपनाएगा। यह सबसे पहले पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करेगा और वहां से आगे बढ़ेगा। यह तब तक आगे जाएगा, जब तक यह पृथ्वी-सूर्य के पहले लैग्रेंज बिंदु (L-1) के आसपास अंतिम प्रभामंडल कक्षा पर नहीं आ जाता।
‘आदित्य L-1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘L-1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने डिजाइन किया गया है। लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद आदित्य L-1 ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ यानी L-1 तक पहुंचेगा। इस प्वाइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 सूर्य पर होने वाली गतिविधियों का 24 घंटे अध्ययन करेगा और बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा। भारत के इस पहले सौर मिशन से ISRO सूर्य का अध्ययन करेगा। L-1 सैटेलाइट को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थापित किया जाएगा।
जानिये क्या है Aditya-L1 Mission
आदित्य-L-1 अंतरिक्ष यान (Aditya-L1 Spacecraft) को सूर्य के परिमंडल के दूर से अवलोकन और L-1 (सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने डिजाइन किया गया है। इसे पृथ्वी से 15 लाख KM दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के L-1 प्वाइंट की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस प्वाइंट पर सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बेअसर रहते हैं। वस्तुएं यहां स्थायी रह सकती हैं। इसे सूर्य और पृथ्वी के अंतरिक्ष में पार्किंग प्वाइंट भी कहा जाता है।
चांद पर फतह के बाद सूर्य की उड़ान
Aditya-L1 Mission भारत का पहला मिशन है। यह सूर्य का अध्ययन करने अंतरिक्ष में भेजा गया है। इस मिशन को ऐसे समय में लॉन्च किया गया है, जब हाल में ISRO ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराकर इतिहास रचा है। दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करने वाला हिन्दुस्तान दुनिया का पहला देश है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन चांद पर सफल लैंडिंग कर चुके हैं. लेकिन कोई भी दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरा है।