सरगुजा. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। कप्तानी का मौका मिलेगा तो करूंगा। यह तो सलेक्शन कमेटी तय करती है। सिंहदेव ने कहा कि यह मौका आखिरी है। आगे वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते। हाईकमान जो तय करेगी, वैसा करेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार में जो भूमिका मिलेगी, निभाएंगे। सिंहदेव ने कहा, भाजपा और कांग्रेस छत्तीसगढ़ में लगभग बराबरी की उपस्थिति वोट शेयर में है। मैं पहले से कहता रहा हूं कि भाजपा को कमतर नहीं आकना चाहिए। सिंहदेव ने यह भी कहा कि वे आगे चुनाव नहीं लड़ना चाहेंगे।
विधानसभा चुनाव हो जाने के बाद टीएस सिंहदेव शनिवार को पूरे दिन अपने निवास कोठीघर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते रहे। ‘बाबा’ इस दौरान चुनाव की स्थिति की समीक्षा में व्यस्त दिखे। सिंहदेव ने कहा कि सरगुजा संभाग की 14 में से 8 से 11 सीटों पर कांग्रेस की जीत होगी। सरगुजा लोकसभा क्षेत्र की सभी आठ सीटों पर बेहतर स्थिति रहेगी। अविभाजित कोरिया जिले की एक और जशपुर जिले की एक सीट जीत रहे हैं। दोनों की दो-दो सीटों पर नजदीक का मुकाबला होगा। टीएस सिंहदेव ने कहा, अंबिकापुर सीट पर कांग्रेस की जीत होगी। सिंहदेव ने यह भी कहा कि वे अब चुनाव नहीं लड़ना चाहते। ऐसे में यह आखिरी मौका है। ‘बाबा’ के बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
‘अब चुनाव नहीं लड़ना चाहते TS सिंहदेव’
डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि अब वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि वे राजनीति से संन्यास लेंगे। कांग्रेस जो जवाबदेही देगी, उसका निर्वहन करेंगे। छत्तीसगढ़ की अगली सरकार में भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि विधायक बनूंगा और सरकार आती है तो छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल का सदस्य रहना चाहूंगा। मुख्यमंत्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि मौका मिला तो जरूर कप्तानी करना चाहेंगे। यह सलेक्शन कमेटी तय करेगी। हाईकमान तय करेगी। वैसे भी आगे चुनाव नहीं लड़ना है तो यह मेरे लिए आखिरी मौका है।
‘2018 में सीएम की दौड़ में शामिल थे बाबा’
बता दें कि सरगुजा महाराज के नाम से पूरे देश में पहचान रखने वाले टीएस सिंहदेव का सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर सीधी दखल है। उनके प्रभाव से कांग्रेस हाईकमान भी वाकिफ है। 2018 में उन्होंने पूरे छत्तीसगढ़ का दौरा करके घोषणा पत्र बनाया था। टीएस सिंहदेव द्वारा बनाए गए घोषणा पत्र और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेश बघेल के सतत संघर्ष की बदौलत कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की थी। कहा जाता है कि जीते हुए विधायकों में अधिकांश टीएस बाबा के समर्थक थे। बहुमत के बाद मुख्यमंत्री के लिए चार प्रबल दावेदार थे। भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत और ताम्रध्वज साहू। चरणदास महंत और ताम्रध्वज साहू की दावेदारी किसी कारण से समाप्त हो गई।
‘ढाई-ढाई साल का फार्मूला मीडिया में खूब उठा’
कांग्रेस हाईकमान ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दे दी। मीडिया में यह चर्चा आम हो गया कि ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर पहले ढाई साल भूपेश बघेल और दूसरे ढाई साल टीएस बाबा को सीएम बनाया जाएगा। ढाई साल बाद इस मामले से कांग्रेस की राजनीति गर्म हुई। रायपुर से दिल्ली तक सियासी बवंडर उठा रहा। भूपेश समर्थक सारे विधायकों ने नई दिल्ली में डेरा डाल दिया। विधायकों के दबाव के बाद टीएस बाबा के सीएम बनने की चर्चा फिर दब गई। हालांकि बाबा अक्सर ढाई-ढाई साल के फार्मूले की बात करते रहे, लेकिन खुलकर कभी नहीं बोल पाए। चुनाव के छह महीने पहले कांग्रेस हाईकमान ने टीएस सिंहदेव को प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बना दिया।