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Wednesday, July 30, 2025

मोतीलाल वोरा की तरह क्या फिर से सक्रिय राजनीति में लौटेंगे रमेश बैस…?, सियासी गलियारों में इस तरह की हो रही चर्चा…

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
मोदी 3.0 की शुरुआत में राष्ट्रपति ने 9 राज्यों के राज्यपाल बदल दिए गए। तीन का ट्रांसफर किया गया है, जबकि 6 लोगों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया। जिन 6 गवर्नर का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ा उसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे रमेश बैस भी शामिल है। राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र के नए राज्यपाल के रूप में सीपी राधाकृष्णन की नियुक्ति कर दी है। राधाकृष्णन इससे पहले झारखंड के राज्यपाल थे। कार्यकाल खत्म होने के बाद रमेश बैस अब जल्द ही छत्तीसगढ़ लौटेंगे। रमेश बैस का कार्यकाल आगे नहीं बढ़ने के बाद छत्तीसगढ़ में उनके फिर से राजनीति में लौटने की जोर-शोर से चर्चा है।

बता दें कि राज्यपाल के रूप में उनकी पारी साल 2019 में त्रिपुरा से शुरू हुई थी। इसके बाद उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था। फरवरी 2023 से वह महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में काम कर रहे थे। रायपुर लोकसभा से सात बार सांसद रह चुके रमेश बैस अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान उनका टिकट काटकर सुनील सोनी को रायपुर लोकसभा से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया गया था। रमेश बैस अब छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं। ऐसे में दुर्ग के दिग्गज नेता स्व. मोतीलाल वोरा की तरह बैस की भी चर्चा होने लगी है। छत्तीसगढ़ ने पूर्व में भी ऐसा उदाहरण देखा है, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। राज्यपाल के रूप में सशक्त पारी खेलने के बाद वोरा दोबारा सक्रिय राजनीति में लौटे थे।

छत्तीसगढ़ में भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता
तीन राज्यों के राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल खत्म कर रमेश बैस की छत्तीसगढ़ वापसी हो रही है। बैस राज्य में भारतीय जनता पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता हैं। 78 साल की उम्र पार कर चुके रमेश बैस राजनीतिक रूप से अब भी सक्रिय हैं। उनकी इसी सक्रियता ने राज्य में स्थापित नेताओं को बेचैनी भी बढ़ा दी है। राज्य के सबसे अनुभवी नेता के रूप में रमेश बैस को नजरअंदाज कर पाना भाजपा संगठन के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। रमेश बैस की वापसी होने के साथ ही उनकी नई भूमिका को लेकर राज्य संगठन और प्रदेश की राजनीति में चर्चाएं शुरू हो गई है।

पार्षद, विधायक, सांसद और राज्यपाल रहे
एक पार्षद के रूप में रमेश बैस ने राजनीतिक पारी शुरू की। बैस 1980 से 1985 तक विधायक भी रहे है। 1989 से बतौर सांसद चुनकर संसद जाते रहे। वह भाजपा के अपराजेय योद्धा रहे हैं। कांग्रेस के सभी दिग्गज चुनाव में उनके सामने धराशायी होते रहे। 2019 में वे राज्यपाल बनाए गए। ओबीसी समाज से आने वाले रमेश बैस की सामाजिक स्तर पर भी अच्छी पैठ है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि राज्यपाल के पद से इस्तीफा देकर उन्हें सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनाया जाएगा। पूर्ववर्ती सरकार में मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल के मुकाबले उनका चेहरा देखा जाने लगा था, लेकिन भाजपा ने अपनी रणनीति बदल दी और ऐसा मुमकिन नहीं हो सका।

रायपुर दक्षिण विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे!
रमेश बैस अब छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं। ठीक उस वक्त रायपुर दक्षिण विधानसभा की सीट खाली है। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। इस सीट पर उप-चुनाव होना है। उपचुनाव के लिए दावेदारों की एक बड़ी भीड़ भाजपा संगठन के सामने खड़ी है। ऐसे में संगठन का एक धड़ा बैस के नाम पर भी माहौल बना रहा है। हालांकि इस बात की संभावना कम ही है कि भाजपा संगठन रमेश बैस को अब चुनावी राजनीति का चेहरा बनाएगी, लेकिन इस बात की गुंजाइश बनी हुई है कि उनके राजनीतिक कद और अनुभव को देखते हुए उन्हें राज्यसभा भेज दिया जाए।

कहीं छत्तीसगढ़ के CM तो नहीं बना देंगे!
छत्तीसगढ़ के कोटे से इस वक्त राज्यसभा की कोई भी सीट खाली नहीं है। ऐसे में फौरी तौर पर ऐसा मुमकिन होता नजर नहीं आता, लेकिन भाजपा में कब और किस तरह के फैसले ले लिए जाएं, यह कोई नहीं जानता। कार्यकाल खत्म होने के ठीक पहले रमेश बैस ने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात की तस्वीरें सार्वजनिक भी हुई, जो यह बताने के लिए काफी है कि रमेश बैस की राजनीतिक महत्वाकांक्षा अब भी बरकरार है। छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल में फेरबदल और दो मंत्रियों के पद भी खाली है। विधानसभा उप चुनाव के रास्ते रमेश बैस को विधायक बनाकर प्रदेश के मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने की भी चर्चा राजनीतिक गलियारों में है।

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