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Saturday, July 27, 2024

लोकसभा चुनाव: भाजपा के लिए चुनौती बनेंगी विधानसभा चुनाव में हारी हुई 43 सीटें, यहां की एक संसदीय सीट पर पूरे देश की नजर

शिमला, एजेंसी। हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की चार सीटों पर पिछले 10 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी एकतरफा जीत दर्ज रही है। एक दशक में कांग्रेस किसी भी सीट पर BJP को टक्कर नहीं दे पाई। 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस के काबिज होने के बावजूद भाजपा ने 4 सीटों पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ तब सूबे में भाजपा की सरकार थी और चारों सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों की जीत का आंकड़ा और बढ़ गया।

कांगड़ा लोकसभा सीट से भाजपा के किशन कपूर ने चार लाख 66 हजार मतों से जीत का नया रिकॉर्ड बनाया। इस बार का लोकसभा चुनाव में अलग सियासी परिदृश्य दिख रहा है। सूबे की सत्ता पर कांग्रेस का कब्जा है। कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों के अयोग्य होने पर 6 सीटों पर उपचुनाव भी हो रहे हैं। ऐसे में इस बार दोनों दलों के बीच रोचक मुकाबला होने के आसार हैं।

भाजपा को 43 सीटों पर मिल सकती है टक्कर
डेढ़ वर्ष पहले हिमाचल की 68 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 43 सीटों पर हार मिली थी। तब भाजपा के सात मंत्री चुनाव हार गए थे। कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर सरकार बनाई तो भाजपा 25 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई। तीन सीटों पर निर्दलीय विधायक विजयी हुए। कांग्रेस के सामने इन 40 सीटों पर अपने प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती रहेगी। भाजपा को इन सीटों पर कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने की बात राजनीतिक जानकार बताते हैं।

पांच मंत्रियों और 13 विधायकों की अग्निपरीक्षा
राज्य की प्रत्येक लोकसभा सीट में 17 विधानसभा हैं। पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो कांग्रेस ने शिमला, कांगड़ा, सोलन, हमीरपुर और ऊना जिलों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। भाजपा केवल मंडी जिला में ही एकतरफा जीत दर्ज कर पाई। मंडी जिले के 10 में से नौ सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। कांग्रेस की सुक्खू सरकार में शिमला संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा पांच मंत्री हैं। इस संसदीय क्षेत्र में 17 में से 13 विधायक कांग्रेस के हैं। कांग्रेस ने सोलन जिला के कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपूरी को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों की अग्निपरीक्षा होगी।

मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम की साख दांव पर
पिछले विस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के गढ़ हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया था। हमीरपुर जिला में भाजपा खाता नहीं खोल पाई, जबकि ऊना जिलों में भाजपा को 5 में से 1 सीट पर जीत मिली। बिलासपुर में मुकाबला बराबरी पर रहा। इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा के कदावर नेता अनुराग ठाकुर लगातार 4 बार जीत दर्ज कर चुके हैं। सीएम और डिप्टी सीएम को इस सीट पर विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराना चुनौतीपूर्ण रहेगा। इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के चार पूर्व विधायक अब भाजपा का दामन थाम चुके हैं। वे भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

मंडी लोकसभा सीट की पूरे देश में हो रही चर्चा
मंडी लोकसभा सीट की पूरे देश में चर्चा हो रही है। लोकसभा चुनाव में यह सीट सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। यहां से भाजपा ने बॉलीबुड अदाकारा कंगना रनौत को प्रत्याशी बनाया है। वह अपने बयानों के लिए खासी चर्चा में रहती हैं। उनका मुकाबला दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे और सुक्खू सरकार में युवा मंत्री विक्रमादित्य सिंह से है। विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह वर्तमान में मंडी से सांसद हैं। पिछले विस चुनाव में भाजपा को मंडी संसदीय क्षेत्र की 17 में से 12 सीटों पर जीत मिली थी। अगर लोकसभा चुनाव में भी यही नतीजे रहे तो भाजपा की कंगना का जितना निश्चित है।

यहां कांग्रेस विधायकों पर लीड दिलाने का दवाब
कांगड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा ने संगठन के राजीव भारद्वाज को उतारा है। कांग्रेस ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आंनद शर्मा पर दांव खेला है। कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के आठ विधायकों को कैबिनेट रैंक दिए हैं। इनमें दो मंत्री भी हैं। इस चुनाव में इन पर कांग्रेस उम्मीदवार को अपने निर्वाचन हलकों में लीड दिलाने का दवाब रहेगा। इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा के सिर्फ पांच विधायक हैं। कांग्रेस के विधायकों की संख्या 12 है। धर्मशाला के कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा अब भाजपा में हैं। विधायकों की संख्या के हिसाब से इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस का पलड़ा भारी है।

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