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Saturday, July 27, 2024

छत्तीसगढ़ के इन गांवों में आजादी के 77 साल बाद पहली बार लहराया तिरंगा, क्या थी वजह आप भी जानिये…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित गांव बुरगुम, तुमरीगुंडा और बड़ेगादम में आजादी के 77 साल बाद पहली बार तिरंगा फहराया गया। दंतेवाड़ा जिला पुलिस, बस्तर फाइटर्स और ग्रामीणों की मौजूदगी में पहली बार यहां के लोगों ने तिरंगे को लहराता हुआ देखा। इस मौके की खास बात यह रही कि कभी झंडा फहराने का विरोध करने वाले नक्सली अब सरेंडर करने के बाद उसी तिरंगे को सलामी देते नजर आए। आजादी के जश्न में पहली बार ग्रामीण भी शामिल हुए।

बता दें कि दंतेवाड़ा जिले के तीनों गांवों को माओवादी हिंसा की वजह से अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। इन गांवों में नक्सली हमेशा से ही स्वतंत्रता दिवस का बहिष्कार करते आए हैं। आजादी के पर्व के दिन नक्सली अंदरूनी क्षेत्रों में काला झंडा फहराकर विरोध जताते हैं। ये गांव उन्हीं गांव में से थे, जहां नक्सली हमेशा काला झंडा फहराते थे। तुमरीगुंडा इंद्रावती नदी के दूसरी ओर स्थित है, जहां बेहद घना जंगल है। पुलिस ने वहां जाकर तिरंगा फहराया।

DRG-बस्तर फाइटर्स के जवान रहे मौजूद
दंतेवाड़ा रेंज के डीआईजी कमलोचन कश्यप, दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने नक्सल प्रभावित गांवों में झंडा फहराने की रणनीति बनाई। फोर्स के जवानों को लेकर पुलिस अफसर अति नक्सल प्रभावित गांव बुरगुम, तुमरीगुण्डा और बड़ेगादम पहुंच। 15 अगस्त को यहां पहली बार आजादी का जश्न जिला पुलिस बल (DRG) और बस्तर फाइटर्स के जवानों की मौजूदगी में तिरंगा फहरा कर मनाया गया। दहशत के बावजूद ध्वजारोहण में बच्चे और ग्रामीण शामिल हुए।

लोन वर्राटू अभियान से घर वापसी की अपील
एसपी गौरव राय ने कहा कि नक्सलगढ़ में लाल आतंक की जड़े कमजोर हो रही हैं। वह दिन दूर नहीं जब गांव के लोग नक्सलवाद के भय से मुक्त होकर आजादी का खुलकर जश्न मना पाएंगे। सरकार के नक्सल पुनर्वास नीति और लोन वर्राटू अभियान (घर वापस आइये) से नक्सली समर्पण कर रहे हैं। अभी तक कुल 615 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, जिसमें 159 इनामी माओवादी हैं। हम अपील करते हैं कि माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटे।

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