धमतरी. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। धमतरी नगर निगम में कांग्रेस द्वारा उतारे गए महापौर पद के प्रत्याशी विजय गोलछा का नामंकन रद्द हो गया है। बीजेपी ने निगम ठेकेदार और लाभार्थी होने पर आपत्ति जताई थी। जिस पर रिटर्निंग ऑफिसर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद नामांकन रद्द कर दिया है। इस बात को लेकर धमतरी नगर निगम की राजनीति में काफी बवाल मचा हुआ है। धमतरी विधायक ओंकार साहू निगम के सामने धरने पर बैठ गए थे। कांग्रेस के नेता इसे राज्य सरकार के इशारे पर किया गया करतूत बता रहे हैं।
दरअसल, महापौर पद के कांग्रेस प्रत्याशी विजय गोलछा के नामांकन पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने आपत्ति लगाई थी। गुरुवार को निर्वाचन अधिकारी के समक्ष इस मामले की सुनवाई होनी थी। दोनों पक्षों के वकीलों को करीब डेढ़ घंटे तक सुनने के बाद रिटर्निंग अफसर ने आखिर में कांग्रेस प्रत्याशी विजय गोलछा का नामांकन रद्द घोषित कर दिया। बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशी विजय गोलछा नगर निगम धमतरी में ठेकेदारी करते रहे हैं। इसके चलते वे नगर निगम से लाभार्थी साबित हुए। इसके चलते उनका नामांकन रद्द कर दिया गया है। इस आशय की घोषण के साथ ही निगम के बाहर कांग्रेसी नारेबाजी और हंगामा करने लगे। कांग्रेस के नेता बड़ी संख्या में निगम के बाहर हंगामा कर रहे हैं।
इस नियम के तहत रद्द हुआ नामांकन
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आरोप लगाया था कि विजय गोलछा नगर निगम के ठेकेदार हैं और 1956 की धारा-17 बी (ड) में लिखे प्रावधान का हवाला देते हुए यह कहा था कि यदि कोई नगर निगम का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभार्थी है तो वह महापौर का चुनाव लड़ने के योग्य नहीं माना जा सकता। प्रावधान का हवाला देते हुए भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया। नामांकन के बाद इस पर आपत्ति जताई और गुरुवार को सुनवाई हुई जिसमें नामांकन रद्द किया गया।
विधायक निगम के सामने धरने पर बैठे
धमतरी नगर निगम में महापौर प्रत्याशी विजय गोलछा के नामांकन रद्द होने की सूचना मिलते ही धमतरी विधायक ओंकार साहू नगर निगम पहुंचे और सभाकक्ष के सामने धरने पर बैठ गए। उनके साथ कई कांग्रेसियों ने भी धरना शुरू कर दिया था। दरअसल, महापौर के कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन पर भाजपा ने आपत्ति लगाई थी। इसी पर रिटर्निंग अफसर का फैसला आना था। इस बीच विधायक भी निगम के सभाकक्ष के अंदर जाना चाह रहे थे, लेकिन उन्हें रोक दिया गया। इसी से नाराज होकर ओंकार साहू धरने पर बैठ गए और जिला प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े करने लगे।