RAIPUR. न्यूजअप इंडिया.कॉम
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) स्कैम में 5 अधिकारियों को आर्थिक अपराध शाखा (EOW ने गिरफ्तार किया है। इन सभी अधिकारियों को पूछताछ के लिए शुक्रवार को EOW दफ्तर बुलाया गया था। जिसके बाद उन्हें देर रात पकड़ लिया गया। रायपुर के स्पेशल कोर्ट में आज उन्हें पेश कर रिमांड मांगी जाएगी। गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में CGMSC के महाप्रबंधक तकनीशियन बसंत कौशिक, जीएम तकनीशियन कमलकांत पाटनवार, बायोमेडिकल इंजीनियर शिरौंद्र रावटिया, स्वास्थ्य विभाग स्टोर इंचार्ज डॉ. अनिल परसाई और आनंद राव शामिल हैं।
विस में उठा था मामला, EOW कर रही जांच
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड स्कैम का यह मामला छत्तीसगढ़ विधानसभा में उठा था। स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा था कि साल 2024-25 में 120 करोड़ का प्रावधान किया गया था, लेकिन अफसरों ने 385 करोड़ की खरीदी कर ली गई। विभागीय जांच की गई, जिसमें गड़बड़ी उजागर हुई है। राज्य शासन ने जांच के लिए मामले को ईओडब्ल्यू को सौंपा है। जो भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। इस दौरान अजय चंद्राकर ने बगैर राशि के खरीदी पर सवाल उठाते हुए दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की भी जानकारी मांगी थी।
स्वास्थ्य विभाग के बड़े अफसर पर शिकंजा
EOW ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है। एफआईआर में 750 करोड़ का घोटाला बताया गया है। एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है। इस एफआईआर के बाद यह माना जा रहा था कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं। इस बात के पहले से कयास लगाए जा रहे थे कि इस घोटाले में शामिल लोगों की गिरफ्तारियां होंगी। ईओडब्ल्यू की जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से राज्य शासन को अरबों रुपये की चपत लगाई गई।
EOW ने दो IAS अफसरों से की थी पूछताछ
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन में 660 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच अब तेज हो गई है। इस मामले में अब तीन आईएएस अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। एसीबी-ईओडब्ल्यू ने IAS भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा और पद्मिनी भोई से पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी, जिसके बाद अब इन तीनों अधिकारियों को समन जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया था। इसके बाद एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम ने IAS भीम सिंह से पूछताछ की थी। इससे एक दिन पहले आईएएस चंद्रकांत वर्मा से करीब 6 घंटे तक पूछताछ की गई थी।
फर्जीवाड़ा बगैर सांठगांठ के संभव ही नहीं
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पूर्व के सत्र में सरकार के दिए गए लिखित जवाब में बताया गया था कि मोक्षित कार्पोरेशन ने बाजार दर से कहीं ज्यादा कीमत पर रिएजेंट की सप्लाई कर बड़ा मुनाफा कमाया है। विधानसभा में दी गई एक जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ था कि कुल 182 जांच उपकरण, मशीन और केमिकल रिएजेंट की खरीदी की गई थी। इस खरीदी पर कुल 608 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। छत्तीसगढ़ सरकार को की गई स्वास्थ्य सामानों की सप्लाई में 4 गुना से लेकर 200 गुना तक मुनाफा कमाया गया। इतना बड़ा फर्जीवाड़ा बगैर सांठगांठ के संभव भी नहीं है।
बाजार मूल्य से ज्यादा कीमत पर खरीदी
फार्मा से जुड़े सूत्रों की मानें तो बाजार में जिस रिएजेंट की कीमत करीब 31 हजार रुपये है, उसे करीब 1 लाख 96 हजार रुपये में खरीदा गया। डायसिस कंपनी के एक अन्य रिएजेंट की कीमत जहां 28 हजार 417 रुपये थी, वहां इसकी खरीदी 1 लाख 76 हजार रुपये में कर दी गई। इसी तरह डी डीमर एफएस रिएजेंट की खुले बाजार में कीमत करीब 70 हजार रुपये है, उसे करीब 5 लाख 86 हजार रुपये में खरीदा गया। 5 लाख के उपकरण को 17 लाख में खरीदा गया। इसी तरह अन्य दवाओं, उपकरणों और रिएजेंट की सप्लाई में बाजार मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर खरीदी कर छत्तीसगढ़ शासन को चूना लगाया है।