कवर्धा-दुर्ग. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के बोड़ला ब्लॉक के भलपहरी गांव में आशा मिनरल्स गिट्टी खदान संचालक और ग्रामीणों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। भलपहरी सहित पांच गांव की सैंकड़ों महिलाएं समनापुर मार्ग से रैली निकालकर जिला मुख्यालय पहुंची। इस दौरान ग्रामीणों ने कलेक्टर ऑफिस का घेराव कर दिया। शनिवार को छुट्टी होने के कारण कलेक्टोरेट में कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं था, लेकिन ग्रामीणों ने कलेक्टोरेट के बाहर ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
महिलाओं ने जांच कार्रवाई के बाद तत्काल खदान बंद करने की मांग को लेकर नारेबाजी की। जब सुरक्षाकर्मियों ने अफसरों को इसकी जानकारी दी तब वो कलेक्टोरेट पहुंचे, लेकिन महिलाओं समेत पहुंचे ग्रामीणों ने कलेक्टर को मौके पर बुलाने की बात पर अड़ गए। इस मामले में कलेक्टर जनमेजय महोबे ने ग्रामीणों को जांच के बाद कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि दो दिन पहले ग्रामीणों की शिकायत पर माइनिंग अफसर मौके पर जाकर कार्रवाई किए थे। अब ग्रामीणों को लगा कि खदान फिर से चालू होगा, इसलिए आज भी ग्रामीण पहुंचे थे। ग्रामीणों का कहना है कि वाटर लेवल डाउन हो रहा है, जिस पर PHE विभाग को जांच करने के लिए कहा गया है।
क्या है कवर्धा के ग्रामीणों का आरोप?
ग्रामीणों का आरोप है कि जब से भलपहरी गांव में आशा मिनरल्स गिट्टी खदान शुरू की गई है, तब से पांच से छह गांव का वाटर लेवल नीचे गिर गया है। खदान में महीने में 100 से 200 बार ब्लास्टिंग की जाती है। धूल मिट्टी से फसल बर्बाद होती है। अब तो स्थिति यह है कि बोर और हैंडपंप सूखने लगे हैं, जिसके कारण किसानों को खेती करने में दिक्कत आ रही है। ग्रामीणों के मुताबिक प्रशासन को समस्या बताने पर भी अभी तक कोई हल नहीं निकला। इस खदान को एक बार बंद भी कराया गया था, लेकिन फिर से शुरू कर दिया गया। वहीं हैवी वाहनों के कारण गांव की सड़क अब किसी काम की नहीं रह गई है। खनिज नियमों की खुलेआम अनदेखी भी हो रही है।
दुर्ग जिले में भी ध्यान दीजिए साहब
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा और पाटन विकासखंड में 50 से ज्यादा पत्थर खदानें हैं। यहां तो नियमों का खुला माखौल उड़ रहा है। प्रदेश में चाहे भाजपा की सरकार हो या फिर कांग्रेस की सरकार रही हो…। यहां खनिज संपदा को लूटने का काम बेधड़क जारी है। सफेदपोश नेताओं के संरक्षण और खनिज अफसरों की मिलीभगत से लूट सको तो लूट मौका न जाए छूट की तर्ज पर काम चल रहा है। खनिज ग्रामों में डीएमएफ से कोई काम भी नहीं होता। केवल खनिजों का दोहन किया जा रहा है। पत्थर खदानों को जितना रकबा में खनन की अनुमति मिली है उससे कहीं ज्यादा खनन हो चुका है। अगर इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आएगा। अरबों रुपये के राजस्व की क्षति निकलेगी। नंदिनी-खुंदिनी के एक खदान की जांच भी हुई थी, जिस पर करोड़ों रुपये जुर्माना भी लगा था। नई सरकार को विष्णुदेव साय सरकार का सुशासन कहा जा रहा है, लेकिन कहीं सुशासन दिखता नहीं है।