बिलासपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के बस्तर और सुकमा के ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने के नाम पर भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में ग्रामीण विद्युतीकरण के नाम पर 18 करोड़ रुपये से अधिक के इस घोटाले की खबर मीडिया में आने के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने इसे स्वत: संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने शासन से शपथपत्र में विस्तृत जानकारी पेश करने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।
बता दें कि बस्तर और सुकमा जिले के 190 गांवों में 3500 से ज्यादा सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं, जिसकी लागत 18 करोड़ रुपये आई थी। इन लाइटों को नियमों को दरकिनार कर लगाया गया और निविदा प्रक्रिया भी क्रेडा के माध्यम से नहीं की गई थी। संबंधित अधिकारी पहले से ही पूरी जानकारी रखते थे, लेकिन आर्थिक लाभ कमाने के चक्कर में अनदेखी करते रहे। पूर्व सुनवाई में बताया गया कि 9 अप्रैल 2024 को आदिवासी विकास आयुक्त रायपुर द्वारा जांच का आदेश दिया गया था और अब रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी गई है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन से मामले की विस्तृत जानकारी शपथपत्र में पेश करने कहा है। अभी यह मामला डिवीजन बेंच में सुनवाई के अधीन है।
2021-22 में घोटाले को दिया गया अंजाम
बस्तर और सुकमा जिले के 190 गांवों में बिना किसी टेंडर और वर्कऑर्डर के 3500 से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं। 2021 से 2022 के बीच इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। आश्चर्यजनक रूप से क्रेडा (छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी) ने भी सभी नियम-कायदों को नजरअंदाज कर दिया। अफसरों ने इसमें भारी भ्रष्टाचार किया है।
क्रेडा के माध्यम से होनी थी लाइट खरीदी
पिछली सुनवाई में राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अधिकारियों ने अदालत को बताया कि नियमानुसार निविदा प्रक्रिया क्रेडा के माध्यम से होनी चाहिए थी, जो पूरी नहीं की गई। अधिकारियों को इस अनियमितता की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। भंडार क्रय नियमों का भी उल्लंघन किया गया।
हाईकोर्ट को बताएं अफसरों ने क्या जांच की
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि जब यह मामला अधिकारियों के संज्ञान में आया तो 9 अप्रैल 2024 को आदिवासी विकास आयुक्त, रायपुर ने इसकी जांच के आदेश दिए। जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को सौंपी जा चुकी है। अतिरिक्त महाधिवक्ता के जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने शासन को निर्देशित किया कि वह शपथ पत्र के माध्यम से इस पूरे मामले और जांच की विस्तृत जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे।
डीएमएफ फंड का दुरुपयोग, हाईकोर्ट नाराज
मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने डीएमएफ फंड के दुरुपयोग और गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने के दौरान क्रेडा से अनुमति नहीं लेने के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस घोटाले को लेकर कड़ा रुख अपनाया था और अफसरों पर नाराजगी व्यक्त की थी। चीफ जस्टिस ने हैरानी जताई कि क्या कोई अधिकारी इस तरह की हिमाकत कर सकता है, और ऐसा क्यों किया गया, जबकि नियमों के तहत इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती थी।
अधिकारियों की मनमानी और विभागीय आपत्ति
जब सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने का काम चल रहा था, तब क्रेडा ने संबंधित विभाग को पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी। क्रेडा ने बताया था कि बिना टेंडर के यह कार्य क्यों किया जा रहा है और यह भी बताया कि यह प्रक्रिया नियमों और मापदंडों के अनुरूप नहीं थी। लेकिन, अधिकारियों ने क्रेडा की आपत्ति को नजरअंदाज कर दिया और नियमों का उल्लंघन करते हुए काम को आगे बढ़ाया। अफसरों ने खुद के हित को देखते हुए इस घोटाले को अंजाम देने की जमकर चर्चा है।
पहले ऊर्जा सचिव को जारी किया था नोटिस
इस मामले में डिवीजन बेंच ने इससे पहले ऊर्जा सचिव को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने कहा था। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस तरह की मनमानी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट द्वारा मामला संज्ञान में लेने के बाद अब शासन स्तर के अफसरों की मुश्किलें बढ़नी तय है। कोर्ट को बताना होगा कि आखिर क्या जांच हुई, कितने अफसर दोषी हैं और उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।