रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के सामरी से विधायक चिंतामणि महाराज ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। विधायक चिंतामणि महाराज ने पूर्व कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से हुई बातचीत का खुलासा किया है। उन्होंने भाजपा नेताओं के सामने अंबिकापुर से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा है। दरअसल, अंबिकापुर से कांग्रेस के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने यहां से अभी तक कोई प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। अगर चिंतामणि महाराज भाजपा में शामिल होते हैं तो वह कांग्रेस की चिंता जरूर बढ़ा देंगे।
दरअसल, कांग्रेस से टिकट कटने के बाद विधायक चिंतामणि महाराज काफी आहत हैं। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा उन्हें अंबिकापुर से प्रत्याशी बनाएगी तो वह पार्टी में शामिल हो जाएंगे। इसे लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और उनके बीच रविवार को बातचीत हुई है। कांग्रेस विधायक चिंतामणि महाराज ने भाजपा नेताओं से मुलाकात के बाद मीडिया से चर्चा में बताया कि बृजमोहन अग्रवाल ने भाजपा में प्रवेश करने के बाद लोकसभा चुनाव में सीट देने की बात कही है।
चिंतामणि महाराज ने कहा कि अगर हमारी शर्त मान ली जाती है तो मैं भारतीय जनता पार्टी में शामिल होउंगा, नहीं तो मैं जहां हूं वहीं रहूंगा। दरअसल, श्रीकोट के आश्रम में भाजपा के साथ चिंतामणि महाराज की मुलाकात हुई है। वहीं बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया से चिंतामणि महाराज के साथ हुई चर्चा को लेकर खुलासा करने से मना कर दिया। बता दें कि चिंतामणी महाराज संत समाज के गहिरा गुरू के पुत्र हैं। संत समाज के विधानसभा क्षेत्र सामरी, लुंड्रा, सीतापुर, जशपुर और कुनकुरी के साथ ही पत्थलगांव विधानसभा क्षेत्र में अनुयायी हैं।
विधायक चिंतामणि ने यह रखी शर्त
चिंतामणि ने इस मामले में मीडिया से बात करते हुए कहा कि आश्रम में आए भाजपा नेताओं ने बीजेपी में शामिल होने की पेशकश की है। साथ ही उनको सरगुजा लोकसभा से चुनाव लड़ाने की बात भी कही है। जिस पर चिंतामणि का कहना है कि मुझे अम्बिकापुर विधानसभा से चुनाव लड़ाया जाए, क्योंकि लोकसभा चुनाव 6 महीने बाद है। मैं 6 महीने इंतजार क्यों करूँ। चिंतामणि के इस मांग पर अंबिकापुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके नेताओं की चिंता बढ़ सकती है। एक संभावना के मुताबिक अगर चिंतामणि महाराज भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो सामरी और लुंड्रा विधानसभा के साथ जशपुर जिले की एक दो सीट पर उनके प्रभाव से कांग्रेस मुश्किल पड़ सकती है।
भाजपा से कांग्रेस में आए थे चिंतामणि
चिंतामणि महाराज ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा से की थी, जिसके बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद उन्हें संस्कृत बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया था। विधानसभा में टिकट न मिलने से नाराज चिंतामणि 2013 विधानसभा के पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे और फिर 2013 में कांग्रेस ने उन्हें लुंड्रा विधानसभा से टिकट दिया और वो जीत गए। 2018 विधानसभा में कांग्रेस ने अपनी रणनीति के तहत चिंतामणि महाराज को सामरी से टिकट दिया और वो वहां से भी चुनाव जीत गए। 2023 के चुनाव में परफॉर्मेंस के आधार पर उनकी टिकट काट दी गई और पैलेस खेमे के नए युवा प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया गया। तब से ही कयास लगाए जा रहे थे कि चिंतामणि कांग्रेस की चिंता बढ़ा सकते हैं। उन्होंने अंबिकापुर से टिकट मांग कर कांग्रेस के साथ भाजपा की चिंता भी बढ़ा दी है।