रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ चुकी है। भारतीय जनता पार्टी में लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर तैयारियों के साथ टिकट की रस्साकशी तेज हो गई है। मौजूदा सांसद अपनी दावेदारी पक्की मान रहे हैं तो वहीं पूर्व विधायक और कुछ नेता राष्ट्रीय नेतृत्व तक जुगाड़ लगा रहे हैं। बाहरी लोग भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। चुनाव करीब आने से टिकट के दावेदारों की धड़कनें भी तेज होते जा रही है, लेकिन आपको बता दें… यह भाजपा है। किसको टिकट दे, किसको ना दे… किसको मोहरा बना दे, किसकी चाल पलट दे… यह अब मोदी राज में कह पाना और आकलन कर पाना किसी भी खबरनवीश के लिए बड़ी चुनौती है।
छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में एक है कांकेर लोकसभा संसदीय सीट…। कांकेर की बात करें तो रामायणी सांसद के रूप में विख्यात मोहन मांडवी का कार्यकाल शांतिपूर्वक रहा है। उनकी विशेषता रही है कि उनके खिलाफ कोई भी बात अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन यदि पिछली बार जिस तरह से सभी प्रत्याशियों को भारतीय जनता पार्टी ने बदला था, अगर वैसा बदलने की योजना बनाती हैं तो भारतीय जनता पार्टी के सामने नए प्रत्याशी की तलाश बहुत बड़ी चुनौती होगी। हालांकि लोकसभा में दावेदार बहुत ज्यादा नहीं दिखाई पड़ रहे हैं फिर भी राममय और मोदीमय माहौल होने का फायदा हर राजनीतिक शख्स उठाना चाहता है। सभी जानते हैं कि इस बार चुनाव में मोदी जी जान लगा देंगे। उन्होंने पूरे भारत में कह दिया है कि अबकी बार 400 पार…। इसे लेकर भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन भी शुरू हो गया है।
5 विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा
विधानसभा चुनाव-2023 में देखें तो कांकेर लोकसभा की कुल 8 सीटों में से 5 विधानसभा पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा है। निश्चित रूप से यह भारतीय जनता पार्टी के माथे पर शिकन पैदा करने के लिए काफी है। इससे और पीछे जाएं तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कोई बहुत बड़े अंतर से चुनाव नहीं जीती थी। यानी कांग्रेस पार्टी ने भाजपा को जबर्दस्त चुनौती दी थी। लोकसभा क्षेत्र के 5 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा होने से कार्यकर्ताओं और कांग्रेस के दावेदारों में उत्साह है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी में लोकसभा चुनाव को लड़ने वालों की कमी भी नहीं है।
भाजपा में कई नाम अभी आ रहे सामने
वर्तमान सांसद मोहन मांडवी को बदलने की बात चलती है तो भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक प्रदेश पदाधिकारी का नाम सुनने में आता है और वह ज्यादा क्षेत्र में देखे भी जाते हैं। वहीं डौंडीलोहारा से वर्तमान विधानसभा का चुनाव हार चुके देवलाल ठाकुर, पूर्व विधायक भोजराज नाग और एक पुराना नाम भी है, जिनका काफी लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है वह देवलाल दुग्गा…। यह वह नाम है जो लोकसभा में अपनी दावेदारी कर सकते हैं, लेकिन संगठन को सोचना है कि किसके सिर पर ताज पहनाया जाए। यह बात भी सर्वविदित है कि भारतीय जनता पार्टी किसे दावेदार घोषित करेगी इसका आकलन करना बहुत मुश्किल है, लेकिन वर्तमान सांसद को बदलते हैं और यदि इन नामों पर विचार होता है तो इसमें सबसे ज्यादा और सबसे लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले नेता हैं देवलाल दुग्गा…।
दुग्गा के पास लंबा राजनीतिक अनुभव
देवलाल दुग्गा वर्ष 1991 में भी लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के प्रति सहानुभूति की लहर की वजह से उन्हें इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। दो बार विधानसभा में विधायक के रूप में जीतने के बाद दो बार अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे देवलाल दुग्गा का कुल जमा उनके खाते में बहुत लंबा राजनीतिक अनुभव है। उनकी दावेदारी होने में उनकी उम्र कुछ बाधा बन सकती है, लेकिन कई ऐसे चेहरे भारतीय जनता पार्टी के पास है जो लंबी उम्र होने के बाद भी राजनीति में अपना मोर्चा संभाले हुए हैं।
समाज और संगठन में अच्छी पकड़ जरूरी
भाजपा का पिछला इतिहास देखें तो जिन नए चेहरों पर भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा और लोकसभा में दांव लगाया वे हमेशा भाजपा को उल्टे-पड़े और इस लोकसभा चुनाव में यह भी यह ध्यान रखना होगा कि प्रत्याशी स्थानीय मूल निवासी हो। प्रत्याशी का आदिवासी बहुल क्षेत्र में समाज पर अच्छी पकड़ और वजूद भी काफी हद तक मायने रखेगा। वैसे भी कांकेर लोकसभा की बात करें तो यहां पर आदिवासी वर्ग भी हलबा और गोंड आदिवासियों में बंटा हुआ है। इसके बाद कुछ ऐसे भी निवासी हैं जो अन्य राज्यों से यहां आकर बस गए थे और राजनीति में प्रमुख रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इन सब बातों पर भारतीय जनता पार्टी के संगठन को गहनता से विचार करना होगा। देखना यह है कि आने वाले दिनों में किस दावेदार को भारतीय जनता पार्टी कहां के लोकसभा से अपना चेहरा बनाती है।