दिल्ली. एजेंसी। कांग्रेस से इस्तीफा के बाद राधिका खेड़ा ने कांग्रेस के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें गालियां भी दीं। राधिका ने बताया कि अपने साथ हुई हरकतों के बारे में उसने पार्टी के अधिकारियों और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और जयराम रमेश को शिकायत भी दी, लेकिन किसी ने कोई एक्शन नहीं लिया।
राधिका ने कहा, ’30 अप्रैल को जब मैं छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मीडिया चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला से बात करने गई थी, लेकिन उन्होंने मेरे साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया और मुझे गालियां दीं। मैं बहुत चिल्लाई। उन्होंने लोगों से कहा कि नीचे जाओ और महासचिव को बुलाओ, लेकिन कोई नहीं हटा, फिर जब मैंने अपना फोन निकाला और कहा कि मैं आपकी रिकॉर्डिंग कर रहा हूं तो सुशील आनंद शुक्ला ने इशारा किया और उस कमरे में मौजूद 2 और लोगों ने दरवाजा बंद कर लिया।’
‘तीनों आदमी उठकर मेरी तरफ आए’
‘अंदर कमरा लगभग एक मिनट तक बंद रहा और मेरे साथ दुर्व्यवहार किया गया। तीनों आदमी उठकर मेरी ओर आए। मैं चिल्लाती रही, लेकिन किसी ने दरवाजा खोलने की कोशिश नहीं की। मैंने दरवाजे को जोर से धक्का दिया और दरवाजा खोलकर प्रदेश महासचिव के कमरे में चला गया, लेकिन वह जूते उतारकर बैठे रहे, कोई खड़ा नहीं हुआ। किसी ने उस आदमी को नहीं बुलाया, किसी ने नहीं पूछा कि क्या हुआ?’
सचिन, भूपेश, रमेश का किया जिक्र
राधिका खेड़ा ने आगे कहा, ‘मैंने सबसे पहला काम यह किया कि मैंने सचिन पायलट को फोन किया, लेकिन उन्होंने मुझसे बात नहीं की, उनके पीए ने मुझे बताया कि सचिन पायलट व्यस्त हैं। उनके पीए की किसी से बातचीत हुई थी. वहां उन्होंने मुझे घटना के बारे में कुछ भी न बोलने, अपना मुंह न खोलने के लिए कहा। इसके बाद मैंने भूपेश बघेल, पवन खेड़ा और जयराम रमेश को फोन किया, लेकिन उनमें से किसी ने भी जवाब नहीं दिया। बाद में भूपेश बघेल ने मुझे वापस फोन किया। उनसे 3 मिनट बात हुई और उन्होंने कहा कि तुम छत्तीसगढ़ ही छोड़ दो…।’
‘मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाते थे’
राधिका ने बताया कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मीडिया प्रभारी सुशील आनंद शुक्ला ने मुझे शराब की पेशकश की। वह 5-6 पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाते थे। ये बात मैंने सचिन पायलट, दीपक बैज और जयराम रमेश, पवन खेड़ा को सूचित किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। बाद में एहसास हुआ कि मुझे नजरअंदाज कर दिया गया, क्योंकि मैं पार्टी की हिंदू विरोधी विचारधारा का पालन नहीं करती थी।