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Thursday, November 21, 2024

बलौदाबादार कांडः आरोपियों से कराई जाएगी सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई, 60 जेल भेजे गए, हिरासत में 200 से ज्यादा लोग, सैकडों लोगों की तलाश

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में हुए हिंसक प्रदर्शन में करोड़ों रुपये की सार्वजनिक और निजी संपत्तियों का नुकसान हुआ है। अब इस मामले पर विष्णु साय सरकार बड़ी कार्रवाई के मूड में नजर आ रही है। इस घटना के दोषियों से ही सरकारी और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई कराने पर विचार किया जा रहा है। कलेक्टोरेट में तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा में अब तक 60 लोगों को जेल भेजा गया। उनकी पहचान वीडियो फुटेज के आधार पर की गई। पूछताछ और जांच के बाद 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है। करीब 500 से ज्यादा लोगों की तलाश की जा रही है।

छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है। इससे पहले भी डबल इंजन वाले राज्यों में अपराधियों को लेकर राज्य सरकारें सख्त नजर आई हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में अपराधियों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया तो कहीं उनकी संपत्तियों को कुर्क कर नुकसान की भरपाई की गई है। अब कुछ ऐसा ही छत्तीसगढ़ में नजर आने वाला है। जहां पर बलौदाबाजार हिंसा में हुई सरकारी और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई राज्य सरकार दोषियों से करवा सकती है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि इस सुनियोजित तरीके से हिंसा की गई। एक सुंदर बिल्डिंग जला दी गई, इससे क्या हासिल हुआ। उन्होंने कहा कि उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई की जाएगी। वहीं दीपक सोनी ने कलेक्टर और विजय अग्रवाल ने एसपी का कार्यभार संभाल लिया है।

हिंसक प्रदर्शन पर प्रदेश में हो रही सियासत
छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम ने अरुण साव ने कहा है कि नुकसान का आकलन कर राज्य सरकार जल्द ही कोई निर्णय लेगी। वहीं स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि संपत्तियों को जलाया गया है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनसे वसूली की जाएगी। भरपाई तो नुकसान करने वालों से किया जाना चाहिए। वहीं इस मामले पर पूर्व मंत्री शिव डहरिया का कहना है कि सरकार दोषियों को न पकड़कर निर्दोष लोगों पर कार्रवाई कर रही है। साय सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति संभालने में फेल हो गई है, इसलिए अपनी गलती छुपाने के लिए कांग्रेस नेताओं पर दोष मढ़ रहे हैं। बलौदाबाजार हिंसा की जांच के लिए कांग्रेस ने जांच कमेटी गठित की है। कांग्रेस का जांच दल आज बलौदाबाजार जाएगा।

संविधान में अपनी बात रखने का अधिकार
संविधान प्रत्येक नागरिक को आपको अपनी बात रखने का अधिकार देता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं की अपनी बात को रखने प्रदर्शन के माध्यम से करोड़ों रुपये के निजी या सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाए। अनुच्छेद 14 और 16 जाति, नस्ल और धर्म, जन्म स्थान या लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को अस्वीकार करता है। यह अनुच्छेद भारत में रहने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए व्यापक दायरा और समानता का भाव रखता है।

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