रायपुर. न्यूजअप इंडिया
केंद्र सरकार के बाद अब एडीजी गुरजिंदर पाल सिंह (जीपी सिंह) को राज्य सरकार ने भी बहाल कर दिया है। गुरुवार को गृह विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया। जीपी सिंह पर आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग केस में कार्रवाई की गई थी। नौकरी मिलते ही जीपी सिंह डीजी की रेस में शामिल हो सकते हैं। जीपी सिंह एक ऐसे अफसर हैं, जिसने सिस्टम से लड़कर जीत हासिल की है।
भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में जीपी सिंह पर आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग समेत कई केस दर्ज किए गए थे, जिसके बाद उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी। इसके खिलाफ उन्होंने याचिका लगाई थी। नौकरी में वापसी के बाद माना जा रहा है कि जीपी सिंह डीजी की रेस में शामिल हो सकते हैं।
केंद्र ने जारी किया था बहाली का ऑर्डर
12 दिसंबर को केंद्र ने बहाली का ऑर्डर जारी किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के फैसले के बाद बहाली का आदेश दिया था। गृह मंत्रालय ने 20 जुलाई 2023 को जारी निलंबन आदेश को रद्द करते हुए उन्हें उसी दिनांक से फिर से उनके पद पर बहाल करने का ऑर्डर जारी किया था।
क्या था जीपी सिंह पर आरोप
छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार थी तब जीपी सिंह के यहां एसीबी ने 2021 में छापा मारा था। उनके रायपुर स्थिति निवास समेत उनके 15 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। 10 करोड़ रुपये की अषोघित संपत्ति कई आवश्यक दस्तावेज मिलने पर उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया। उसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और राजद्रोह का केस दर्ज किया गया। करीब 4 महीने तक जेल में रहे। बाद में राज्य सरकार की अनुशंसा पर उन्हें केंद्र ने कंपलसरी रिटायरमेंट दे दिया। इसके खिलाफ जीपी सिंह केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में केस दर्ज किया। अपने रिटायमेंट को चुनौती दी। इस पूरे मामले में उन्हें फिर से बहाल करने का फैसला दिया गया।
कौन हैं जीपी सिंह यह भी जानिए
जीपी सिंह का पूरा नाम गुरजिंदर पाल सिंह है। उनका जन्म 1 जनवरी 1969 को हुआ। मैकेनिकल से बीई की डिग्री ली। यूपीएससी का एग्जाम क्लियर किया। 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी बने। वह मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में एसपी रहे। बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग के (पुलिस महानिरीक्षक) आईजी रहे। दूरसंचार तकनीकी सेवाएं और परिवहन में एडीजी रहे। एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ भी रह चुके हैं।