कोंडागांव। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को करीब 3 महीने बाकी हैं, लेकिन चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा, बसपा और गोंगपा ने कुछ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इस बीच सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति के मैदान में एक और IAS की एंट्री हो गई है। पूर्व आईएएस ओपी चौधरी के बाद यह यह दूसरा आईएएस है, जिन्होंने प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़कर कमल का दामन थामा है। बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी नीलकंठ टेकाम ने कोंडागांव में 3000 समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होकर भूपेश बघेल सरकार को ललकारा।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के कई बड़े अधिकारी इस्तीफा देकर चुनावी मैदान पर उतरने को तैयार हैं। कई अधिकारी तो वीआरएस ले चुके हैं। 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान भी एक आईएएस और एक आईएफएस ने सेवानिवृत्त के बाद भाजपा का दामन थामा था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली थी। इस बार फिर दोनों नेता सक्रिय हैं। एक आईएएस सामान्य वर्ग से है जबकि एक आईएफएस अनुसूचित वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। बुधवार को अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले नीलकंठ टेकाम ने सरकारी नौकरी को अलविदा कह दिया है।
कोंडागांव व कांकेर से प्रत्याशी बनाने की चर्चा
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आए IAS नीलकंठ टेकाम को पार्टी केशकाल, कांकेर या कोंडागांव सीट से मौका दे सकती है। इधर नीलकंठ का कहना है कि मुझे उम्मीद है कि प्रशासनिक अधिकारी रहते बस्तर के लोगों का जैसे सहयोग मुझे मिला, उससे ज्यादा विश्वास और सहयोग जनता का मिलेगा। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने ट्वीट कर कहा कि आज छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और भाजपा के साथियों के साथ केशकाल में विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन में उपस्थित होकर सभा को संबोधित किया। इस दौरान पूर्व आईएएस नीलकंठ टेकाम के भाजपा प्रवेश पर उनका स्वागत किया।
टेकाम के काम को नीति आयोग ने सराहा था
बता दें कि टेकाम ने मध्यप्रदेश के धार जिले में बतौर SDM सरकारी नौकरी की शुरुआत की थी। छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर उन्हें मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ कैडर अलाट हुआ। रायपुर मंत्रालय से उनकी तैनाती जगदलपुर एसडीएम के तौर पर हुई। 2008 में वे आईएएस अवार्ड हुए और बस्तर के कोण्डागांव जिले के कलेक्टर बने। नीलकंठ टेकाम जब कोण्डागांव जिले के कलेक्टर थे, तब उनके काम को नीति आयोग ने सराहा था। बतौर कलेक्टर आज भी उनके काम को बस्तर संभाग के लोग याद करते हैं। नीलकंठ टेकाम ने सरकारी नौकरी की शुरुआत शिक्षक से की थी। उसके बाद प्रोफेसर और फिर MPPSC फाइट कर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर बने। नीलकंठ मंत्रालय में कई उच्च पदों पर भी रहे हैं।