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Thursday, March 13, 2025

आस्था और श्रद्धा का तीर्थ आनंदधाम अकोला, धर्मसम्राट राजा करपात्री महाराज की तपोभूमि के बारे में आप भी जानिए…

  • कलश यात्रा के साथ 11 दिवसीय रुद्र महायज्ञ और संगीतमय श्रीराम कथा की शुरुआत
  • महाशिवरात्रि तक होंगे धार्मिक आयोजन, भव्य मेला के साथ होगा कार्यक्रम का समापन
  • रुद्र महायज्ञ सेवा संस्थान व ग्रामीणों के सहयोग से अकोला बगीचा में धार्मिक अनुष्ठान

भिलाई. न्यूजअप इंडिया
दुर्ग जिले के खारुन नदी के तट पर स्थित आनंदधाम अकोला बगीचा में 16 से 26 फरवरी तक को रूद्रमहायज्ञ और राम कथा का आयोजन शुरू हो गया है। यज्ञाचार्य पंडित पवन द्विवेदी के मार्गदर्शन में यह धार्मिक अनुष्ठान 11 दिनों तक आयोजित होगा। वहीं अयोध्याधाम से आए मानस विदुषी देवी चंद्रकला संगीतमय रामकथा का रसपान श्रद्धालुओं को करा रहे हैं। आस्था और श्रद्धा का यह महापर्व महाशिवरात्रि तक चलेगा। इस धार्मिक अनुष्ठान को सफल बनाने आयोजन समिति के पदाधिकारी और दर्जनभर गांवों ग्रामीण जुटे हुए हैं।

रुद्र महायज्ञ सेवा संस्थान के अध्यक्ष धनेश शर्मा ने बताया कि भव्य कलश यात्रा के साथ महाशिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई है। यह धार्मिक कार्यक्रम महाशिवरात्रि तक चलेगा। महायज्ञ के अलावा श्रीराम कथा का श्रवण भी श्रद्धालु कर रहे हैं। इसके अलावा पार्थिव शिवलिंग पूजन, मुंडन, उपनयन संस्कार भी होंगे। महाशिवरात्रि पर मेला के साथ यज्ञ की पूणाहुति, बाबा योगेश्वर नाथ मंदिर में दूध से रूद्राभिषेक किया जाएगा। आयोजन रुद्र महायज्ञ सेवा संस्थान और ग्रामीणों की ओर से किया जा रहा है, जिसकी तैयारी में आसपास के दर्जनभर से ज्यादा गांवों के लोग लगे हैं। धनेश शर्मा ने बताया कि क्षेत्रीय विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा के आतिथ्य में धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत हुई है।

लोक कल्याण’ के उद्देश्य धार्मिक आयोजन
रुद्र महायज्ञ सेवा संस्थान के अध्यक्ष धनेश शर्मा ने बताया कि अकोला बगीचा में श्रीरुद्र महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। रुद्र महायज्ञ भगवान शिव की पूजा का शक्तिशाली और सर्वोच्च रूप है, जो सभी प्राणियों के कल्याण, सार्वभौमिक शांति और समृद्धि को बढ़ाने के लिए ‘लोक कल्याण’ के उद्देश्य से किया जाता है। श्रीरूद्र महायज्ञ का जाप करने से व्यक्ति का मन, शरीर और बुद्धि जागृत होती है। आत्मज्ञान से भीतर और पूरी सृष्टि में शांति आती है। रुद्र महायज्ञ के साथ संगीतमय श्रीराम कथा, संत समागम और विशाल भंडारा भी आनंदधाम अकोला बगीचा में हो रहा है।

धर्म सम्राट करपात्री महाराज आए थे यहां
आनंदधाम अकोला बगीचा बड़ा तीर्थ है। हिन्दू धर्म के महान संत, आधुनिक धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज ने इस धाम को बसाया है। करपात्री महाराज ने यहां लंबे समय तक ध्यान और तपस्या किया था। उन्होंने ही अकोला बगीचा के इस धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत की थी। आनंदधाम अकोला बगीचा में धार्मिक आयोजन का यह 65वां वर्ष है। हर साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। आनंदधाम अकोला बगीचा में भगवान शिव, भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, हनुमान सहित देवी-देवताओं के कई मंदिर हैं।

धार्मिक एकता का प्रतीक है आनंदधाम
रायपुर और दुर्ग की सीमा पर कुम्हारी से लगा आनंदधाम अकोला बगीचा धार्मिक वजह से भी छत्तीसगढ़ में विख्यात है। यहां विभिन्न समाज द्वारा बनाए गए मंदिर भी हैं। धार्मिक अनुष्ठान में सभी समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। अकोला गांव का आनंदधाम तीर्थ सामाजिक एकता का बड़ा उदाहरण है। धार्मिक आयोजन को सफल बनाने के लिए मलपुरी कला, ओटेबंद, कपसदा, तेंदुआ, गुमा, अकोला, गुधेली सहित दर्जनभर गांवों के लोग यहां सेवा देते हैं।

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