रायपुर। छत्तीसगढ़ में 21 और मध्य प्रदेश में 39 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची आने के बाद बाकी बची सीटों को लिए टिकट के दावेदारों की बैचेनी बढ़ने लगी है। सबसे ज्यादा बैचेनी मौजूदा विधायकों में हैं, जिनको अभी तक साफ नहीं है कि टिकट मिलेगा या नहीं। पहली सूची में नए दावेदारों को उतारकर पार्टी पूर्व विधायकों की धड़कनों को और ज्यादा बढ़ा दिया है। कई पूर्व विधायक जुगाड़ की राजनीति भी जमा रहे हैं। भाजपा की दूसरी लिस्ट एक-दो दिनों में जारी होने वाली है। इस लिस्ट में 30 से 35 प्रत्याशियों के घोषणा होने की बातें सामने आ रही है।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस बार अपनी चुनावी रणनीति में कमजोर सीटों को सबसे ऊपर रखा है। चाहे वह विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव की तैयारी। भाजपा विधानसभा चुनावों के लिए संबंधित राज्यों में सबसे पहले हारी हुई सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम तय कर रही है। मध्य प्रदेश में ऐसी 39 सीटों और छत्तीसगढ़ में 21 सीटों के लिए उम्मीदवार तय कर चुकी है। राजस्थान में ऐसी सीटों को लेकर अभी चर्चा चल रही है और जल्द ही वहां भी कुछ सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जाएंगे। हालांकि वहां नेतृत्व को लेकर राजनीति चल रही है, जिसकी वजह से नामों की घोषणा नहीं हो पायी है। पार्टी ने राजस्थान के लिए अभी तक एक भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी की भी तैयारी तीनों राज्यों में चल रही है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, वहीं मध्य प्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार सत्ता पर काबित है।
टिकट बदल न जाए, संभलकर चलो भाई
भाजपा ने विधानसभा चुनावों की घोषणा यानी आचार संहिता लगने के काफी पहले कुछ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर सभी राजनीतिक दलों को चौंका दिया था। इसके लिए पार्टी ने पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं को भी नजरंदाज कर दिया। छत्तीसगढ़ में भाजपा से जिन नेताओं नेताओं को टिकट मिल गया है, उन्होंने अपना प्रचार भी शुरू कर दिया है। प्रचार से पहले सभी प्रत्याशियों की दिग्गज भाजपा नेताओं के साथ रायपुर बैठक हुई थी। इन सीटों पर जनसंपर्क के साथ सामाजिक समीकरण भी संभाले जा रहे हैं और कार्यकर्ताओं में भी सक्रियता आई है। सूत्रों के अनुसार कुछ नेता काफी संभल कर चल रहे हैं कि कहीं चुनावों की घोषणा और नामांकन ऐसा कोई मुद्दा न आ जाए कि टिकट बदल जाए।
राजनीति में कोई चीज स्थायी नहीं होती
भाजपा में इस बीच सबसे ज्यादा बैचेनी मौजूदा विधायकों में हैं। जनता के बीच कामों का दबाब और साथ ही यह साफ नहीं है कि उनको दोबारा टिकट मिलेगा या नहीं। ऐसे में उनका कामकाज तो प्रभावित हो ही रहा है। साथ ही विपक्ष के प्रति भी काफी ज्यादा आक्रामक नहीं हो पा रहे हैं। बीते पांच साल में कांग्रेस और अन्य दूसरे दलों से आए नेता भी संशय की स्थिति में है। मध्य प्रदेश में कुछ ऐसे नेता भी हैं जो पिछले चुनाव में भाजपा छोड़कर दूसरे दलों में गए और विधायक बने और अब फिर भाजपा में आ चुके हैं। हालांकि इनको टिकट देने का वादा किया गया है, लेकिन सियासत के जानकारों का मानना है कि राजनीति में कोई चीज स्थायी नहीं होती है। वादा समय के साथ बदल भी जाता है।
लोकसभा की कमजोर सीटों पर भी फोकस
भाजपा विधानसभा चुनावों के साथ 2024 के लोकसभा चुनावों की भी तैयारी कर रही है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की हारी हुई और कमजोर सीटों को अपनी वरीयता में रखा है। पार्टी पिछले पौने दो साल में इस पर काम भी कर रही है। विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में पार्टी ने ऐसी लगभग 160 सीटों की सूची तैयार की हुई है, जिन पर वह लगातार सघन अभियान चलाकर उनको मजबूत करने में जुटी है। इन सीटों पर विभिन्न केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता लगातार दौरा कर रहे हैं। अब एक सितंबर को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा व गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इसकी समीक्षा बैठक होगी, जिसमें इन सीटों के जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री और संगठन के नेता भी मौजूद रहेंगे।
कांग्रेसी सरकार को सत्ता से हटाने की रणनीति
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का पूरा फोकस छत्तीसगढ़ की चुनावी रणनीति पर है। छत्तीसगढ़ में अभी कांग्रेस की सरकार है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरने पार्टी को पूरा जोर है। पार्टी के शीर्ष नेता लगातार छत्तीसगढ़ का दौरा कर रहे हैं। गृहमंत्री अमित शाह का 70 दिनों में चौथा छत्तीसगढ़ दौरा हो रहा है। इससे पहले उन्होंने 22 जून को दुर्ग में एक बड़ी आम सभा को संबोधित किया था। इसके 12 दिन बाद 5 जुलाई और 22 जुलाई को रायपुर आए। अब करीब 40 दिन बाद अमित शाह फिर रायपुर आ रहे हैं। रायपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी सभा भी हो चुकी है।