रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के पाठ्य पुस्तक निगम घोटाले की जांच प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने सवाल उठाये हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि घोटाले की जांच में संलिप्त छोटी मछलियों पर कार्रवाई हो रही है। भाजपा के लोग घोटाले में शामिल लोगों को बचाने में लगे हैं। सभी दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर वे न्यायालय की शरण में जाएंगे और दोषियों पर कार्रवाई करवाएंगे के लिए न्याय का दरवाजा खटखटाएंगे।
पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि बीजेपी की 14 महीने की सरकार से पहले इतना अधिक भ्रष्टाचार कभी नहीं हुआ। बच्चों को स्कूलों में बांटी जाने वाली किताबें रद्दी में बेच दी गई। सभी किताबें शैक्षणिक सत्र 2024-25 की थीं। पुस्तक छपाई कर स्कूलों में किताबें बांटने के बजाय कबाड़ में बेच दी गई। शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया है। उपाध्याय ने कहा कि जांच के नाम पर केवल छोटी मछलियों पर कार्रवाई हो रही है। बड़े मगरमच्छ अभी बाकी है। पाठ्य पुस्तक निगम के छपाई कराने वाले अफसरों, किस एजेंसी को ठेका दिया गया था। कितने करोड़ का ठेका था और कितनी पुस्तकें छापकर स्कूलों में भेजी गई। यह सभी जांच का विषय है। उपाध्याय ने कहा कि हमने छापेमारी की और जांच समितियों के ऊपर सवाल भी उठाया था। मुख्य दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग हमने की है और आगे भी करते रहेंगे। उपाध्याय ने कहा कि यह बड़ा घोटाला है और उसमें कई लोग सामने आएंगे।
डीपीआई ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
डीपीआई से जारी नोटिस के मुताबिक सूरजपुर डीईओ राम ललित पटेल, राजनांदगांव तत्कालीन प्रभारी डीईओ अभय कुमार जायसवाल, जशपुर डीईओ प्रमोद कुमार भटनागर, राजनांदगांव तत्कालीन प्रभारी डीईओ आदित्य खरे (वर्तमान सहायक संचालक डीईओ कार्यालय राजनांदगांव), धमतरी डीईओ टीआर जगदल्ले, सरोज खलखो सहायक संचालक कार्यालय जशपुर और अन्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों को नोटिस जारी हुआ है। इन सभी को नोटिस में कहा गया है कि सात दिन के अंदर जवाब दें। जवाब नहीं देने पर एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
डिपो से सीधे गोदाम तक पहुंच गई किताबें
बता दें कि रायपुर के सिलियारी स्थित पेपर मिल के कबाड़ में लाखों किताबें मिली थी। यह किताबें सरकार की ओर से प्रदेश के सभी स्कूलों में मुफ्त में बांटी जानी थी। किताब छपने के बाद डिपो से निकली और सीधे कबाड़ गोदाम तक पहुंच गई। लगभग दो लाख किताबें गोदाम तक पहुंची थी। सभी किताबें 2024-25 शैक्षणिक सत्र की थी। इस मामले का उजागर पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने किया था। उपाध्याय ने फैक्ट्री के सामने धरना देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने किताबें खरीदीं और बिना बांटे ही कबाड़ में बेच दीं। शिक्षा विभाग के अफसरों ने सुनियोजित तरीके से षड़यंत्र किया और राज्य शासन को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है।
रिपोर्ट मिलने के 70 दिनों बाद नोटिस
पुस्तक घोटाला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जांच कमेटी बनाई गई थी। सरकार ने अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले को जांच की जिम्मेदारी दी थी। जांच करने के बाद रेणु पिल्ले ने 1045 पेज की जांच रिपोर्ट 3 दिसंबर 2024 को सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट मिलने के बाद भी अफसर जांच की बात कहते रहे। मीडिया में जांच रिपोर्ट की बात सामने आने के बाद हड़ंकप मच गया और 70 दिनों बाद कार्रवाई करते हुए दोषी पाए गए 5 जिला शिक्षा अधिकारी और पाठ्य पुस्तक निगम के कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिया गया है।