नई दिल्ली/रायपुर. न्यूजअप इंडिया
केंद्रीय अनुदान आयोग (UGC) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर डिफाल्टर विश्वविद्यालयों की अद्यतन सूची जारी की है। घोषणा के अनुसार, देश में कुल 157 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर के रूप में पहचाना गया है। इनमें 108 सरकारी यूनिवर्सिटी, 47 प्राइवेट यूनिवर्सिटी और दो डीम्ड यूनिवर्सिटी शामिल हैं। लोकपाल नियुक्त नहीं करने पर यह एक्शन लिया गया है। इस सूची में छत्तीसगढ़ की 5, पड़ोसी राज्यों मध्य प्रदेश की 16 और ओडिशा की 11 यूनिवर्सिटी को डिफाल्टर घोषित किया गया है।
आपको बता दें, UGC ने देशभर की कुल 157 विश्वविद्यालयों, जिनमें 108 सरकारी और 47 निजी यूनिवर्सिटी को डिफाल्टर घोषित कर दिया है। लोकपाल द्वारा यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के शिकायतों का समाधान किए जाने का प्रावधान है। अब तक जिन विश्वविद्यालय में लोकपाल की नियुक्ति नहीं की गई थी, उन्हें डिफाल्टर घोषित किया है। डिफाल्टर घोषित हुए विश्वविद्यालयों को आयोग की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। साथ ही शासन की ओर से आर्थिक सहायता से भी वंचित रह जाएंगे। आयोग द्वारा जारी आदेश UGC की आधिकारिक वेब साइट पर भी देख सकते है।
छत्तीसगढ़ के 5 सरकारी यूनिवर्सिटी के नाम
छत्तीसगढ़ में यह पहली बार है कि प्रदेश के जाने-माने 5 सरकारी यूनिवर्सिटी डिफाल्टर की लिस्ट में है। इनमें आयुष विश्वविद्यालय रायपुर, कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग, महात्मा गांधी उद्यानिकी यूनिवर्सिटी सांकरा (दुर्ग), इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और शहीद नंद कुमार कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ का नाम शामिल है। UGC ने 19 जून को डिफाल्टर यूनिवर्सिटी की सूची जारी की है। स्टूडेंट्स के भविष्य को देखते हुए UGC ने इन यूनिवर्सिटी को जल्द से जल्द लोकपाल की नियुक्ति करने का अवसर दिया है, ताकि छात्र-छात्राओं से जुड़े प्रकरणों को सुलझाया जा सके।
स्टेटवाइस डिफाल्टर यूनिवर्सिटी की संख्या
छत्तीसगढ़ की 5, आंध्र प्रदेश की 4 (2 प्राइवेट), बिहार की 3 (2 प्राइवेट), दिल्ली की 1 (2 प्राइवेट), गुजरात की 4 (6 प्राइवेट), कर्नाटक की 13, केरल की 1, महाराष्ट्र की 7 (2 प्राइवेट) मणिपुर की 2, मेघालय की 1, ओडिशा की 11, पंजाब की 2, राजस्थान की 7 (7 प्राइवेट), सिक्किम की 1 (2 प्राइवेट), तेलंगाना की 1, तमिलनाडु की 3, हरियाणा की 2, जम्मू कश्मीर की 1, झारखंड की 4 (1 प्राइवेट), उत्तर प्रदेश की 10, उत्तराखंड की 4 (2 प्राइवेट), मध्य प्रदेश की 16 (8 प्राइवेट), पश्चिम बंगाल की 14 सरकारी यूनिवर्सिटी डिफाल्टर घोषित किया गया है।
विश्वविद्यालयों में क्यों जरूरी है ‘लोकपाल’
विश्वविद्यालयों में नियुक्त लोकपाल छात्रों की समस्याओं को सुनकर समाधान निकालता है। इसके लिए समय सीमा भी तय है। केंद्रीय अनुदान आयोग (UGC) के नियम के मुताबिक प्रत्येक यूनिवर्सिटी को छात्र-छात्राओं की शिकायतों के निवारण के लिए एक लोकपाल नियुक्त करना अनिवार्य है। लोकपाल के पद पर सेवानिवृत्त कुलपति, 10 वर्षों का अनुभव वाले सेवानिवृत्त प्रोफेसर अथवा पूर्व जिला जज को नियुक्त किया जाता है। यूजीसी ने जिन विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किया है, वहां लोकपाल की नियुक्तियां नहीं की गई है, जिसकी वजह से यह कार्रवाई हुई है।