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Friday, May 9, 2025

छत्तीसगढ़ विधानसभाः बिना जल स्रोत के ही 653 गांवों में बन गई पानी की टंकी और बिछ गई पाइप लाइन…

  • अजय चंद्राकर ने पूछा- बिना जलस्रोत के पाइप लाइन बिछवाने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? सदन में पीएचई मंत्री अरुण साव ने दिया ऐसा जवाब…

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन नल-जल योजना पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने सवाल दागे। सबसे पहले विधायक गोमती साय ने पूछा कि जल जीवन मिशन योजना पिछले 5 साल में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई थी। अब इसे ठीक करने के लिए क्या-क्या किया जा रहा है। मंत्री अरुण साव ने जवाब दिया कि जल जीवन मिशन 2019 में शुरू की गई। छत्तीसगढ़ में 2019 की बजाय 2021 में ये योजना शुरू हुई। बाकी सभी के टेंडर हुए, लेकिन नलकूप के टेंडर अप्रैल 2023 के बाद शुरू हुआ। इसके बाद से हमारी सरकार ने काम शुरू किया। एक साल में जल जीवन मिशन के काम काफी तेजी से हुआ है।

अरुण साव ने बताया कि छत्तीसगढ़ के जल जीवन मिशन की कुल लागत 26 हजार 465 करोड़ से ज्यादा थी, जिसमें केंद्रांश 12 हजार 424 करोड़ से ज्यादा रुपये और राज्यांश 14 हजार 41 करोड़ रुपये से ज्यादा था। वर्तमान में 6 हजार 178.33 करोड़ रुपये केंद्रांश और राज्यांश 7292.28 करोड़ मिला है। अब तक 13 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च हुई है। इस योजना में 19656 गांव शामिल है। 2019 में योजना लॉन्च होने के बाद साल 2024 तक थी। अब इसे 2028 तक बढ़ा दिया गया है। जनवरी 2024 तक लक्ष्य का 80.3 प्रतिशत है। कई घरों में नल कनेक्शन देना बचा है। ट्यूबवेल खदान का काम अप्रैल 2023 से शुरू हुआ। ट्यूबवेल खनन के आधे से ज्यादा खनन नहीं हुए हैं और लगातार काम चल रहा है। 3438 नलकूप खोदे हैं। हाइड्रो फ्रैक्चरिंग विधि से 735 नलकूप जीवित किए गए हैं। 2711 टंकियों का निर्माण हुआ है। हर घर जल प्रमाणित 1438 है। लगातार इस योजना को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। 351 ठेकेदारों के ठेके निरस्त किए हैं और 15 एजेंसियों को बाहर किया गया है। खराब टंकियों, चबूतरे और बाउंड्रीवॉल तोड़ने का काम किया है।

विधायक अजय चंद्राकर ने सवाल पूछने से पहले कहा कि 16 दिसंबर 2024 के ध्यानार्षण लगाया गया था कि कई स्थानों में टंकी बन गए हैं और जल स्त्रोत नहीं है। आज तक इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हुई है। सरकार के मंत्री के प्रश्न है कि प्रदेश के कितने गांवों के कितने घरों में नल कनेक्शन लगाए गए हैं। लक्ष्य के अनुरूप कितने गांवों के कितने घरों में पूर्ण अपूर्ण स्थिति हैं।

अरुण साव ने इसका जवाब देते हुए कहा कि नलकूप खनन देरी से शुरू हुआ। स्रोत विहीन गांवों की संख्या 653 है। ये गांव ऐसे है जो स्रोत विहीन है, जिसमें से 3 हजार 254 गांव ऐसे है जहां अपर्याप्त स्रोत है। चंद्राकर ने बीच में टोकते हुए कहा स्रोत विहीन ऐसे कितने गांव है, जहां पाइप लाइन डल गई है और टंकी बन गई है। साव ने कहा कि विस्तार से उत्तर दिया है। चंद्राकर बंधू-बंधू कहकर साव को पुकारने लगे, इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने उन्हें टोका और कहा कि माननीय मंत्री जी कहिए… चंद्राकर ने कहा- नलकूप के बारे में सवाल नहीं पूछा।

अरुण साव ने जवाब दिया नलकूप खनन का काम अप्रैल 2023 से शुरू हुआ।. हर एक स्कीम में जब डीपीआर तैयार हुई। ग्रामसभा से अनुमोदन हुआ, नलकूप खनन देरी से शुरू हुआ इसलिए स्रोत की दिक्कत आ रही है। स्रोत विहीन गांवों की संख्या 653 है, जिसमें 1 लाख 32 हजार 717 घरों में नल कनेक्शन हुए हैं। चंद्राकर ने कहा बिना जल स्त्रोत के क्या पाइप लाइन और टंकी बनाई जा सकती है? क्या बिना स्रोत के इसका अनुमोदन किया जा सकता है? कार्यपालन अभियंता या जिला स्वच्छता समिति ने जिन्होंने भी इसे अनुमोदन दिया है, क्या वे इसे अनुमोदन दे सकते हैं?

साव के जवाब से असंतुष्ट चंद्राकर ने कहा कि जब डीपीआर में जल स्त्रोत नहीं होने के बारे में जानकारी थी तो जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई। साव ने कहा 26 हजार करोड़ की योजना में अब तक सिर्फ 13 हजार करोड़ खर्च हुए हैं। काम पूरा नहीं हुए हैं। चंद्राकर ने फिर पूछा जल स्त्रोत नहीं होने के बावजूद टंकी बनाई गई और पाइप लाइन बिछाई गई। ऐसे में जहां-जहां ऐसा हुआ वहां काम करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हुई क्या? साव ने कहा किसी भी गांव में जब तक काम पूरा नहीं होगा, तब तक ठेकेदार को पूरी पेमेंट नहीं किया जाएगा। इस पर साव ने कहा जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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