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Sunday, September 15, 2024

IAS-SDM और अफसरों पर चलेगा अवमानना का केस, जमीन अधिग्रहण मामले में हाईकोर्ट के आदेश का नहीं किया पालन…

बिलासपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में अधिग्रहण के बिना लोक निर्माण विभाग (PWD) ने दो किसानों की जमीन पर कब्जा कर सड़क बना दिया। किसानों ने जब भू-अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के मुआवजे की मांग की तो अफसरों ने उनकी नहीं सुनी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अधिकारियों ने मामले का निराकरण नहीं किया। अब न्यायालय की अवमानना केस में आईएएस, एसडीएम सहित अन्य अफसरों को बिलासपुर हाईकोर्ट ने 3 सितंबर को उपस्थित होने का आदेश दिया है।

जांजगीर के पीड़ित किसानों ने अधिवक्ता के माध्यम से पूर्व कलेक्टर नुपूर राशि पन्ना सहित आधा दर्जन अधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए अवमानना याचिका दायर की है। याचिका में किसानों ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अफसरों ने मुआवजा राशि का वितरण नहीं किया है। ऐसा कर कलेक्टर सहित अधिकारियों ने न्यायालयीन आदेश की अवेहलना की है। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सुनवाई के दौरान अधिकारियों को अवमानना के लिए दोषी माना है।

इन अधिकारियों पर चलेगा अवमानना केस
अवमानना मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने पूर्व कलेक्टर सक्ती नूपुर राशि पन्ना, राकेश द्विवेदी अनुविभागीय अधिकारी (पीडब्ल्यूडी) सक्ती, रूपेंद्र पटेल अनुविभागीय दंडाधिकारी मालखरौदा, रेना जमील मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत और प्रज्ञा नंद कार्यकारी अधिकारी (पीडब्ल्यूडी) ब्रिज जगदलपुर को पक्षकार बनाया गया है। बता दें कि हाईकोर्ट के अवमानना मामले में 6 महीने की सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है।

4 माह में प्रकरण निपटाने दिया था आदेश
अविभाजित जांजगीर-चाम्पा जिला के ग्राम अंडी पोस्ट किरारी निवासी नेतराम भारद्वाज और भवानीलाल भारद्वाज की जमीन पर बिना अधिग्रहण लोक निर्माण विभाग (PWD) ने सड़क निर्माण कर दिया। भू-स्वामियों ने कलेक्टर जांजगीर के पास विधिवत जमीन अधिग्रहण कर मुआवजा दिलाने आवेदन दिया। आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होने से अधिवक्ता योगेश चंद्रा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई। नवंबर 2022 में जस्टिस आरसीएस सामंत ने सुनवाई में पाया कि याचिकाकर्ताओं की भूमि 2012 में ली गई है। कोर्ट ने कलेक्टर और भू अर्जन अधिकारी को 4 महीने के भीतर दावे की जांच कर अधिग्रहित भूमि का मुआवजा भुगतान का आदेश दिया था, लेकिन अफसरों ने ध्यान ही नहीं दिया।

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