23.1 C
Raipur
Monday, December 2, 2024

‘भ्रष्ट लोक सेवक न्यायिक उदारता का पात्र नहीं’, कठोर सजा मिलनी ही चाहिए, जानिए जज ने किस अफसर के लिए कहा ऐसा…

इंदौर. न्यूजअप इंडिया
इंदौर जिले के सहकारी संस्था में 24 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने वाले समिति प्रबंधक को दोषी पाते हुए कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने समिति प्रबंधक नवल सिंह को 24 लाख 15 हजार रुपये के अलावा 10 हजार रुपये का अर्थदंड भी चुकाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों से उच्च कोटि की नैतिकता और ईमानदारी की अपेक्षा की जाती है, लेकिन भ्रष्ट लोक सेवक न्यायिक उदारता का अधिकारी नहीं है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गंगाचरण दुबे ने 10 गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर सजा सुनाई है। अतिरिक्त लोक अभियोजक लीलाधर पाटीदार ने बताया सेवा सहकारी समिति मर्यादित, बरलई, सांवेर के समिति प्रबंधक नवल सिंह ने समिति प्रबंधक रहते 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच रासायनिक खाद बिक्री कर उससे मिली 24,15,048 रुपये खुद रख लिया। यह राशि समिति प्रबंधक को समिति के मुख्यालय या बैंक में जमा करना था।

ऑडिट में खुला 24 लाख गमन का राज
बता दें कि यह घटनाक्रम 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच का है। इंदौर प्रीमियर कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड, इंदौर के मैनेजर ओमप्रकाश चौहान ने 5 फरवरी 2021 को पुलिस थाना क्षिप्रा में लिखित शिकायत की थी। इसमें बताया गया था कि संस्था से संबद्ध सेवा सहकारी संस्था मर्यादित, बरलई सांवेर में वित्तीय वर्ष 2018-19 के ऑडिट में संस्था के रासायनिक खाद स्टॉक के 24 से ज्यादा रकम कम है। समिति के मैनेजर नवलसिंह इसके लिए जिम्मेदार हैं।

10 साल जेल और 10 हजार का जुर्माना
पुलिस ने मामला दर्ज करके फिर से जांच की। आरोपी ब्रांच मैनेजर नवल सिंह को अपना पक्ष रखने का मौका दिया, लेकिन पुलिस की जांच में भी ब्रांच मैनेजर दोषी पाए गए। पुलिस ने नियमानुसार चार्टशीट सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया। दंड निर्धारण से पहले न्यायालय ने आरोपी ब्रांच मैनेजर नवल सिंह को बचाव करने का मौका दिया, लेकिन न्यायालय की कार्रवाई में भी आरोपी ब्रांच मैनेजर नवल सिंह दोषी पाए गए। इसके बाद माननीय न्यायालय ने नवल सिंह को अपराधी घोषित करते हुए 10 साल जेल की सजा और 10 हजार के जुर्माना से दंडित किया है।

65 साल उम्र होने पर कम सजा की अपील
आरोपी की ओर से अधिवक्ता ने तर्क किया कि आरोपी प्रथम अपराधी होकर 65 वर्षीय नागरिक है। वह विगत 2 साल से न्यायिक अभिरक्षा में है। उसकी पूर्व की कोई भी दोषसिद्धि अभियोजन द्वारा साबित नहीं की गई है, इसलिए उसे न्यूनतम दंड से दंडित किया जावे। वही अतिरिक्त लोक अभियोजक लीलाधर पाटीदार ने अभियुक्त को राशि लौटाने और कठोर कार्रवाई का निवेदन किया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि भ्रष्ट आचरण वाला लोकसेवक किसी भी न्यायिक उदारता का पात्र नहीं है। उसे राशि लौटने के साथ 10 हजार अर्थदंड और 10 साल कैद भोगना ही होगा।

Latest news
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here