नई दिल्ली-रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें अलग-अलग राज्यों में उप-मुख्यमंत्री (Deputy CM) बनाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि डिप्टी-सीएम का पद संविधान में कहीं भी नहीं लिखा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की इस दलील पर चीफ जस्टिस बोले- उप-मुख्यमंत्री भी मंत्री ही होता है। पद को कोई नाम दे देने से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है।
संविधान के आर्टिकल 163 (1) के मुताबिक, ‘मुख्यमंत्री के साथ मंत्रियों का परिषद भी होना चाहिए जो कि राज्यपाल को उनके कामकाज में मदद करे और सलाह दे।’ डिप्टी सीएम का जिक्र न तो आर्टिकल 163 और न ही आर्टिकल 164 (“अदर प्रोविजंस एज टू मिनिस्टर”) में मिलता है। आर्टिकल 164 का सब क्लॉज (1) कहता है, मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेंगे और बाकी मंत्री भी मुख्यमंत्री की सलाह पर वही (राज्यपाल) नियुक्त करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ एक ओहदा है। इसके अलावा कोई अतिरिक्त फायदा उप मुख्यमंत्री को नहीं मिलता है।
किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं पद
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार में पार्टियों के गठबंधन या अन्य वरिष्ठ नेताओं को अधिक महत्व देने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है। बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि डिप्टी CM की नियुक्ति को किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता। डिप्टी CM राज्य सरकार में पहला और सबसे अहम मंत्री होता है।
कैबिनेट मंत्री जैसी सैलरी-सुविधा मिलती है
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने लगाई थी। जनहित याचिका में दावा किया गया था कि संविधान में डिप्टी CM जैसा कोई पद नहीं है। सामान्य तौर पर लोग किसी भी प्रदेश की सरकार में डिप्टी-सीएम को मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर का मंत्री माना जाता है। वैसे, राज्यों में डिप्टी सीएम का पद कैबिनेट मंत्री की रैंक के बराबर का माना जाता है और डिप्टी सीएम को भी कैबिनेट मंत्री जितनी तनख्वाह और सुविधाएं मिलती हैं।
कौन था देश में सबसे पहला उप-मुख्यमंत्री?
देश के सबसे पहले उप-मुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिंह थे, जो कि औरंगाबाद से नाता रखने वाले राजपूत नेता थे। वह बिहार में मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह (सिन्हा) के बाद कांग्रेस में सबसे अहम नेता माने जाते थे। बाद में 1987 के बाद और राज्यों में भी डिप्टी-सीएम देखने को मिले। अब अधिकांश राज्यों में दो डिप्टी सीएम बनाए जा रहे हैं।
14 राज्यों में डिप्टी, आंध्र में सबसे ज्यादा
बता दें कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा सरकार ने तीनों प्रदेशों में मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री बनाए हैं। डिप्टी सीएम बनाए जाने के बाद सवाल भी उठने लगे थे। छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री ने उपमुख्यमंत्री पद को असंवैधानिक बताया था, जिसके बाद भाजपा-कांग्रेस के नेताओं में राजनीतिक बयानबाजी भी हुई थी। बता दें कि अभी सबसे अधिक डिप्टी सीएम आंध्र प्रदेश में हैं। वहां सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार में उनके पांच डिप्टी सीएम हैं। इसी तरह देश के कुल 14 राज्यों में 26 उप मुख्यमंत्री कार्यरत हैं।