रायपुर.न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ में आदर्श आचार संहिता लगने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। सूची जारी होने के साथ भाजपा की अंदरूनी कलह भी अब खुलकर सामने आने लगी है। कुछ दिन पहले भाजपा की सूची जारी हुई थी, वही नाम भाजपा की अधिकृत सूची में भी आए हैं। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को उखाड़ फेंकने भाजपा ने ‘अउ नई सहिबो-बदल के रहिबो’ का नारा दिया। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के दिग्गज नेताओं ने हर सभा में इस बात को जोर-शोर से प्रचारित किया, लेकिन लिस्ट जारी होते ही भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में आक्रोश दिख रहा है। पार्टी ने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है।
भाजपा के नेता अब खुद कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ जाकर ‘बदलबो’ का नारा लगाया, लेकिन पार्टी प्रत्याशियों को बदलने में नाकामयाब साबित हो गई। जब पार्टी ही हारे और पुराने चेहरों को लेकर चुनाव मैदान में उतरी है, तो परिवर्तन कैसे संभव होगा। एक ही चेहरे को कई बार मौका दिया जा रहा है। कार्यकर्ता और भाजपा नेता यह भी कहने लगे हैं कि क्या और चेहरा चुनाव लड़ाने के लिए नहीं हैं। कुछ समय पहले भाजपा ने कहा था कि नए चेहरों को मौका दिया जाएगा, जिसके बाद प्रत्याशी बनाए जाने की लालसा संयोए कार्यकर्ता को लगा कि पार्टी इस बार जरूर कुछ नया करेगी। सोशल मीडिया पर वायरल हुई सूची और भाजपा की अधिकृत लिस्ट के हिसाब से भाजपा कुछ नया नहीं कर पाई। उन्हीं चेहरों को एक बार फिर मैदान में उतार दिया गया है। वहीं दूसरी ओर टिकट की उम्मीद लगाए बैठे कई भाजपा नेता निराश भी हो गए हैं।
‘स्थानीय की उपेक्षा से कार्यकर्ता नाराज’
बता दें कि भाजपा की वायरल सूची के बाद प्रदेश के कई हिस्सों में विरोध की खबर आई थी। विरोध की आग रायपुर तक पहुंची। छत्तीसगढ़ के लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधानसभा में भाजपा विरोधी नारे स्वयं कार्यकर्ता लग रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है, स्थानीय नेताओं की उपेक्षा की जा रही है। नाराजगी इस हद तक बढ़ी हुई है कि कई स्थानों पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने पार्टी और प्रत्याशी का पुतला तक दहन कर दिया। चुनाव लड़ने की लालसा में कई जगहों पर पोस्टर और बैनर लगा चुके नेता अब अधिकृत नामों की घोषणा के साथ प्रत्याशी से किनारा कर घर बैठ गए हैं।
‘85 में से 42 लोग पहले चुनाव लड़ चुके‘
भाजपा की 90 में 85 सीटों का पूरा समीकरण यह बताता है कि 2023 के चुनाव में 43 उम्मीदवार ऐसे हैं, जो पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। वहीं शेष 42 प्रत्याशी पूर्व में चुनाव लड़ चुके हैं। पूर्व में चुनाव लड़ चुके 42 उम्मीदवारों में 31 ऐसे हैं, जिनमें से वर्तमान में 12 विधायक हैं। वहीं 19 पूर्व विधायक हैं। इनमें 15 डॉ. रमन सिंह की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। 12 वर्तमान विधायकों में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, पूर्व मंत्री पुन्नूलाल मोहले, पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति बांधी, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, धरमलाल कौशिक, शिवरतन शर्मा, रंजना दीपेन्द्र साहू, सौरभ सिंह शामिल हैं। वर्तमान विधायकों में धर्मजीत सिंह भी हैं जो 2018 में जोगी कांग्रेस से जीतकर आए थे और इस बार भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं।
‘सभी को संतुष्ट कर पाना भी मुश्किल’
अधिकृत प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के बाद घमासान मचा हुआ है। विरोध होना भी स्वभाविक है। एक विधानसभा में 8 से 10 दावेदार रहते हैं और किसी एक को ही टिकट मिलता है। ऐसे में सबको संतुष्ट कर पाना मुश्किल है। वहीं पार्टी द्वारा जब पैराशूट प्रत्याशी थोपा जाता है तो कार्यकर्ताओं का विरोध होना भी लाजिमी है। ऐसा ही नजारा सूची जारी होने के बाद दिख रहा है। अब भाजपा इस विरोध को कैसे शांत करेगी, यह बड़ा सवाल है।
‘सामाजिक स्तर पर बैठक बुलाने की खबर’
भाजपा की सूची जारी होने के बाद कई जगहों पर सामाजिक स्तर पर मीटिंग बुलाने की खबर है। भाजपा ने कई समाज को निराश किया है। कई उम्रदराज लोगों को टिकट देकर युवाओं को भी नाराज कर दिया है, जिसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा। निचले स्तर के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अनदेखी हमेशा से चला आ रही है। भाजपा सभी विधानसभा में जीते हुए विधायकों को भी टिकट देगी तो नया चेहरा फिर कब उभर कर आएगा? कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीनियर नेताओं ने जितनी भी बातें कही थी, सभी के विपरीत कार्य हो रहा है। बहरहाल, छत्तीसगढ़ में 7 और 17 नवंबर को मतदान होना है और 3 दिसंबर को मतगणना होगी। जनता अब किसका साथ देगी यह भविष्य बताएगा।