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Monday, September 1, 2025

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पांच बड़े फैसले, जिसने बदल दी देश और लोगों की किस्मत, पूरा देश हमेशा रहेगा नतमस्तक…

नई दिल्ली. एजेंसी।
अपने आर्थिक सुधारों के दम पर भारत की अर्थव्यवस्था को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने वाले पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब इस दुनिया में नही रहे। 26 सितंबर देर रात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कई बड़े फैसले लिए थे। इन फैसलों का असर आज भी देश पर होता है। उनके इन फैसलों के लिए देश हमेशा उनके सामने नतमस्तक रहेगा।

साल 1991 में मनमोहन सिंह की राजनीति में एंट्री हुई। जब 21 जून को पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। उस समय देश एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। नरसिम्हा राव के साथ मिलकर उन्होंने विदेशी निवेश का रास्ता साफ किया था। वित्त मंत्री रहते उन्होंने देश में आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू किया, जिससे विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए कई बड़े फैसले लिए। आइये जानते हैं डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा लिए गए 5 बड़े फैसले, जिसने देश की किस्मत और लोगों की किस्मत बदल दी।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के शासनकाल में ही वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम लागू किया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) किया गया। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करना था, ताकि गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सुधार हो सके। इसके तहत ग्रामीण लोगों को साल में 100 दिन का रोजगार मिलता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन में कमी आई।

भारत-अमेरिका परमाणु सौदा
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता डॉ. मनमोहन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं। इस समझौते के बाद भारत को परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) से छूट मिली थी। इसके अलावा देश को अपने नागरिक और सैन्य परमाणु कार्यक्रमों को अलग करने की अनुमति मिली। इस समझौते के बाद ही भारत को उन देशों से यूरेनियम आयात करने की अनुमति मिली, जिनके पास यह तकनीक है।

सूचना का अधिकार अधिनियम
2005 में मनमोहन सरकार ने एक एक्ट पारित किया था, जिसके बाद नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों से जानकारी मांगने का अधिकार मिल गया। इस एक्ट को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) नाम दिया गया। इस एक्ट से सरकार में बैठे लोगों के काम में पारदर्शिता आई और उनकी जवाबदेही भी तय हो सकी। सूचना का अधिकार आज आम आदमी के पास सबसे बड़ा हथियार है। आम आदमी अपने और दूसरे के काम की जानकारी शासन से मांग सकता है।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण
डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) सिस्टम को लागू किया था। इस योजना का कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को उनके लिंक किए गए बैंक खातों के माध्यम से सीधे सब्सिडी हस्तांतरित करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करना है। देश में आज लाखों लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।

आधार कार्ड की सुविधा
केंद्र की मोदी सरकार आज जिस आधार का गुणगान कर रही है, वो भी मनमोहन सिंह के शासनकाल की ही देन है। बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहन ने आधार की शुरुआत की थी। इसे बनाने के लिए 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन हुआ था। इसका उद्देश्य भारत के नागरिकों को एक ऐसे पहचान प्रमाण पत्र की सुविधा देना था, जिसे आसानी से हर जगह इस्तेमाल किया जा सके।

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