रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री एवं विधायक ननकीराम कंवर ने कहा, पीएससी घोटाले के मामले में हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार का चेहरा उजागर कर दिया है। जब से कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी है, तब से सभी प्रकार की भर्ती प्रक्रियाओं को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। 2021 की लोक सेवा आयोग राज्य सेवा परीक्षा के परिणाम में जिस प्रकार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सचिव, उच्च अधिकारियों और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के परिजन बड़ी संख्या में नियुक्त हुए उससे बेरोजगारों के साथ हो रहे अन्याय का पर्दाफाश हो गया है। सरकार बेरोजगार नौजवानों को धोखा दे रही है।
ननकीराम कंवर ने कहा कि पीएससी घोटाले में माननीय न्यायाधीश ने गंभीर टिप्पणी की है। न्यायालय ने सच सबके सामने ला दिया है। उन्हें और प्रदेश के सभी युवा बेरोजगारों को न्यायालय पर पूरा भरोसा है। मैंने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग माननीय न्यायालय से भी की है। ननकीराम कंवर ने कहा कि माननीय हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग की 18 नियुक्तियों पर रोक लगाई है। पीएससी में अनियमितता, धांधली और भाई-भतिजावाद का भांडा फूटने के बाद आयोग व प्रदेश सरकार इसकी जांच करने के बजाय सबूत को नष्ट करने की कोशिश में लग गया है।
‘चेयरमैन के इतने रिश्तेदार कैसे सलेक्ट हो गए’
पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने प्रदेश सरकार पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब परीक्षा परिणाम में अधिकारी और नेताओं के बच्चों के नाम सामने आए थे, तब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते थे कि अधिकारी या नेता के बच्चे परीक्षा में चयनित क्यों नहीं हो सकता?, लेकिन न्यायालय ने एक साथ 18 अधिकारी और नेताओं के परिजनों की भर्ती पर प्रश्न खड़ाकर दिया है। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने पूछा कि यह कैसे हो सकता है कि लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष टामन सोनवानी के 6-6 रिश्तेदार एक साथ कैसे सिलेक्ट हो सकते है?
‘जांच करने प्रदेश सरकार की इच्छाशक्ति नहीं’
ननकीराम कंवर ने कोर्ट में प्रस्तुत किए गए अपने हलफनामे में इस बात का उल्लेख किया है कि पीएससी के परिणाम आने के बाद जब विवाद हुआ तब आयोग ने पीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2021 के दस्तावेज जिसमें ओएमआर शीट व उत्तर पुस्तिकाएं शामिल है को रद्दी में बेचने की निविदा जारी कर दी थी। कंवर ने कहा कि छत्तीसगढ़ पीएससी में हो रही गड़बड़ियों में जांच करने में प्रदेश की जांच एजेसियां सक्षम नहीं है और प्रदेश सरकार की इच्छाशक्ति भी नहीं है, इसलिए सभी परीक्षाओं की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराया जाना चाहिए।