जबलपुर. न्यूजअप इंडिया
मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के कलेक्टर दीपक सक्सेना ने शिक्षा माफिया की काली करतूतों को उजागर कर दिया है। जिन सफेदपोश प्राइवेट स्कूलों पर हाथ डालने से शिक्षा विभाग के अफसर घबराते थे, उन्हें जबलपुर के डीएम ने जेल भिजवा दिया है। डीएम दीपक सक्सेना का अनुमान है कि अकेले जबलपुर जिले में प्राइवेट स्कूलों ने नियम विरुद्ध तरीके से 240 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध फीस वसूली की गई है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि निजी स्कूल 30 दिन के भीतर बढ़ी हुई फीस अभिभावकों को लौट दें, अन्यथा प्रशासन उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा।
जबलपुर में स्कूल एजुकेशन से जुड़े शिक्षा माफिया की करतूतें सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। निजी स्कूल संचालकों और प्राचार्यों ने अवैध फीस वसूली के साथ बुक सेलर्स, बुक डिस्ट्रीब्यूटर्स और स्कूल यूनिफॉर्म सेलर्स के साथ मिलकर ऐसा गठजोड़ बनाया कि अभिभावकों की जेब से अरबों रुपये ढीले हो गए। कलेक्टर दीपक सक्सेना के अनुसार जिले में 1035 निजी स्कूल हैं। अभी इनमें से सिर्फ 50 की जांच की गई। 11 स्कूलों में 81 करोड़ 30 लाख रुपये की अवैध फीस वसूली का मामला पकड़ा गया है। सभी स्कूलों की जांच करने पर 60% स्कूलों में मनमानी बढ़ी फीस मिलेगी। जिसका आंकलन करीब 240 करोड़ रुपये से ज्यादा निकलेगा। बच्चों के स्कूल बैग का वजन भी 9 किलो तक मिला। इतना ही नहीं स्कूल और पब्लिशर्स ने मिलकर 64 फीसदी तक नई किताबें छात्रों पर थोपी है। NCERT की नकली पुस्तकें स्कूलों में चलाई गई। जबलपुर एसपी आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि लगभग 50 से ज्यादा आरोपी बनाए गए हैं। 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 420, 409, 468 व 471 धारा के तहत कार्रवाई हुई है, जो गैर जमानती है।
जिला प्रशासन को मिली थी 250 शिकायतें
जिला प्रशासन को स्कूलों की मनमानी से जुड़ी 250 के करीब शिकायतें मिलीं थीं। इनकी जांच के लिए 11 स्कूलों का चयन हुआ। 8 एसडीएम, 12 तहसीलदार, 25 शिक्षा अधिकारी और 60 अन्य कर्मचारियों को जांच के काम में लगाया गया। इस मामले में खुले में सुनवाई और स्कूलों को भी अपना पक्ष रखने का मौका देने के बाद जिला प्रशासन की ओर से 51 लोगों पर 80 मामले दर्ज किए गए हैं। स्कूल प्रबंधन पर 30 मामले, पुस्तक विक्रेताओं पर 5 और प्रकाशकों पर 16 मामले दर्ज किए गए हैं। स्कूलों की आगे भी जांच की जाएगी और बड़ी गड़बड़ियां खुलने का संभावना है।
मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी हो जांच
कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच से यह साफ हो गया है कि निजी स्कूलों ने अवैध तरीके से फीस बढ़ाकर शिक्षा को महंगा कर दिया था। 11 स्कूलों की जांच के डाटा से यह पता चला है कि अवैध तरीके से 25 से 40 फीसदी तक फीस बढ़ाई गई। अब जब इन स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी वापस ली जाएगी तो शिक्षा अपने आप सस्ती हो जाएगी। पुस्तकों और ड्रेस में 60 प्रतिशत तक कमीशन लिया गया है। मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी निजी स्कूल संचालकों की मनमानी जारी है। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव का सुशासन दिखे इसके लिए निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश जरूरी है। मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी निजी स्कूलों की जांच की बात उठ रही है।
फीस वृद्धि के नियम और अनियमितता
- 15 फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी जरूरी है। फीस बढ़ाने से 90 दिन पहले जानकारी देना अनिवार्य है।
- ऑडिट रिपोर्ट पोर्टल में दर्ज करना अनिवार्य है, लेकिन निजी स्कूलों ने ऐसा नहीं किया। ऑडिट में हेर-फेर भी मिली है।
- नियम कहता है कि अगर कोई स्कूल सभी खर्चों के बाद सालाना आय में 15 फीसदी अधिक कमा लेता है तो फीस नहीं बढ़ा सकता। यह नियम भी मनमाने तरीके से तोड़ा गया है।