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Friday, November 22, 2024

जैन धर्म के तपस्वी शीतलराज का चातुर्मास के लिए रायपुर में मंगल प्रवेश, मुनिश्री ने 22 वर्ष की उम्र में ली दीक्षा, 53 साल से लेटकर नहीं ली नींद…

रायपुर. न्यूजअप इंडिया
जैन धर्म के तपस्वी शीतलराज महाराज का रविवार को मानस भवन पुजारी पार्क पचपेड़ी नाका रायपुर में चातुर्मास के लिए मंगल प्रवेश हुआ। चातुर्मास प्रवेशोत्सव के तहत शांति रेजिडेंसी से प्रातः 9 बजे प्रवेश यात्रा निकाली गई। इससे पहले वहां बड़ी संख्या में पहुंचे अनुयाइयों ने गुरुदेव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। उसके बाद गुरु शीतल राज म. सा. ने चातुर्मास मंगल प्रवेश के लिए पदयात्रा शुरू की। उनके साथ छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, गुजरात सहित अन्य अनेक राज्यों से पहुंचे गुरुभक्त भी पदयात्रा करते हुए मानस भवन पहुंचे।

श्री शीतल चातुर्मास समिति की ओर से दीपेश संचेती ने बताया कि चातुर्मास 20 जुलाई से प्रारंभ होगा। इस दौरान प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे प्रार्थना होगी। सुबह 8.45 से 9.45 बजे तक गुरुजी का प्रवचन होगा। दोपहर 3 बजे मौन मांगलिक दिया जाएगा। रात्रि 8 से 9 बजे तक धर्म चर्चा होगी। श्री संचेती ने बताया कि गुरुदेव का प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को मौनव्रत रहता है। इसके अलावा वे प्रतिदिन दोपहर 12 से 3 बजे तक अतापना के दौरान मौन रहते हैं।

चातुर्मास आयोजन समिति के दीपेश संचेती ने बताया कि पू. गुरुदेव श्री शीतलराज जी मसा ने 19 फरवरी 1970 को 22 वर्ष की उम्र में दीक्षा ग्रहण कर वैराग्य धारण किया। मुनिश्री की भीष्म प्रतिज्ञा है कि कभी लेटकर नींद नहीं लूंगा। विगत 53 वर्षों से आड़ा आसन त्यागकर लेटकर नींद नहीं ली है। आप विगत 30 वर्षों से सूर्य की अतापना लेते हुये प्रतिदिन दोपहर 12 से 3 और सायंकाल 7 से 9 मौन साधना का पालन कर प्रति सोमवार और गुरुवार पूर्ण मौन साधना में रहते हैं। गुरुदेव 30 वर्षों से एकासना व्रत का पालन कर रहे है।

दीपेश संचेती ने बताया कि आचार्य श्री हस्तीमलती म.सा. के मुखारविंद से मुनिश्री को 1976 में ‘कुशलसेवा मूर्ति’ अलंकरण से विभूषित किया गया। वहीं, छत्तीसगढ़ प्रवर्तक वाणीभूषण पूज्य श्री रतनमुनिजी महाराज जी के सानिध्य में अक्षय तृतीया के पावन दिवस 13 मई 2013 को मुनिश्री को “महात्मा” पद से विभूषित किया गया। श्रमणसंघीय प्रर्वतक श्री रमेश मुनिजी की आज्ञा से उप प्रर्वतक श्री गोतममुनि जी द्वारा 20 जनवरी 2019 को आचार्य श्री की 109 वीं जन्म जयंती व मुनि श्री के 71 वें जन्मदिवस पर गुरु भगवन्त द्वारा मुनि श्री को ‘महास्थविर’ पद से अलंकृत कर चादर भेंट की गई। आप साधना करते हुए जैन आगमो के पारायण से प्राप्त दिव्य ज्ञान के अमृत को मौन मांगलिक के रूप में जन-जन को वितरित कर समाज पर महान उपकार कर रहे हैं।

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