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Saturday, July 27, 2024

किरणमयी नायक ही रहेंगी महिला आयोग की अध्यक्ष, हाईकोर्ट से मिली राहत, अब चाहकर भी नहीं हटा पाएगी बीजेपी

बिलासपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद निगम, मंडल और आयोग में कुर्सी छोड़ने का दौर चल रहा है। कुछ निगम-मंडल के अध्यक्षों ने कांग्रेस की हार के साथ इस्तीफा दे दिया तो कुछ बने हुए हैं। प्रदेश सरकार ने सभी निगम, मंडल और आयोगों की राजनीतिक नियुक्तियों को समाप्त कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने कुर्सी खाली करने का आदेश भी जारी किया है, लेकिन अब चाहकर भी प्रदेश सरकार महिला आयोग की कांग्रेसी अध्यक्ष को नहीं हटा सकेंगे। हाईकोर्ट ने उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहने का आदेश दिया है। वहीं भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में भी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का मामला हाईकोर्ट पहुंचा था, जिसमें भाजपा के डॉ. सियाराम साहू के पक्ष में फैसला आया था।

दरअसल, छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलते ही विष्णुदेव सरकार एक्शन में आई। राज्य के सभी निगम, मंडल और आयोगों की राजनीतिक नियुक्तियों को समाप्त कर दिया गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश के बाद महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने हाईकोर्ट में जस्टिस एएनके चंद्रवंशी की अदालत में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए स्टे दे दिया है। हाईकोर्ट ने उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहने का आदेश दिया है। इस स्थिति में फिलहाल किरणमयी नायक छग राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष के पद पर बनी रहेंगी। मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी।

किरणमयी नायक का कार्यकाल 2026 तक
बता दें, किरणमयी नायक कांग्रेस की नेत्री है। वह रायपुर नगर निगम की महापौर भी रह चुकी हैं और कानून की अच्छी जानकार भी हैं। छत्तीसगढ़ महिला आयोग अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस सरकार के दौरान उनकी ताजपोशी हुई थी। महिला आयोग का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। किरणमयी नायक ने एक कार्यकाल पूरा कर लिया है। इसके बाद जुलाई 2023 में दोबारा पद पर बने रहने उन्हें अध्यक्ष नियुक्त किया गया। कांग्रेस सरकार ने 2026 तक अध्यक्ष के कार्यकाल को बढ़ाया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब वे कार्यकाल पूरा करते तक पद पर बनीं रहेंगी।

संवैधानिक पदों पर नियुक्त अध्यक्ष बने रहेंगे
जीएडी के आदेश के बाद निगम-मंडल और आयोग में नियुक्त सभी लोगों को अपना पद छोड़ना होगा। हालांकि इनमें से कुछ लोगों ने सत्ता बदलने के साथ ही इस्तीफा भी दे दिया था, लेकिन कई निगम-मंडलों और आयोग में अभी भी मनोनीत सदस्य बने हुए हैं। संवैधानिक पदों पर हुई नियुक्तियों को छोड़कर सभी राजनैतिक नियुक्तियां विष्णुदेव साय सरकार ने रद्द कर दिया है। कुछ जगहों के अध्यक्ष को विधि प्रक्रियाओं के बाद ही हटाया जा सकता है, इसलिए वो अपने पद पर बने रहेंगे।

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