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Wednesday, March 12, 2025

बहुमत के बाद भी BJP उम्मीदवार को नहीं मिली जीत, एक बागी पार्षद ने किया खेल, रडार में आए उद्योग मंत्री, कहीं लोकसभा चुनाव में भी तो नहीं हुआ था खेला…

KORBA-RAIPUR. newsupindia.com
छत्तीसगढ़ के कोरबा नगर निगम में सभापति के पद पर बागी नूतन सिंह ठाकुर की जीत के बाद राज्य की सियासत तेज हो गई है। इस मामले में बीजेपी की आपसी गुटबाजी भी खुलकर सामने आ गई। इस मामले में बीजेपी ने मंत्री लखनलाल देवांगन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नूतन सिंह ने पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल के खिलाफ बागी होकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। पार्टी ने नूतन को 6 सालों के लिए निष्कासित कर दिया है।

बहुमत के बाद भी कोरबा नगर निगम में भाजपा की किरकिरी हो गई। मंगलवार को बीजेपी ने इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम का गठन किया है। यह कमेटी 7 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को सौंपेगी। बीजेपी की जांच कमेटी में पूर्व विधायक गौरीशंकर अग्रवाल को संयोजक बनाया गया है। इसके अलावा रजनीश सिंह और श्रीनिवास राव को सदस्य बनाया गया है। कोरबा नगर निगम में 8 मार्च को निगम सभापति का चुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा प्रत्याशी को हार मिली। वहीं सभापति में हार के बाद लोकसभा चुनाव की यादें भी ताजा हो गई है। लोकसभा चुनाव में सरोज पांडेय को इसी कोरबा में हार का सामना करना पड़ा। बाहरी प्रत्याशी का शोर गूंजा। अंदरखाने किलेबंदी तो नहीं की गई थी। नतीजा छत्तीसगढ़ की 10 सीटों पर भाजपा को एकतरफा जीत मिली, लेकिन कोरबा हार गए।

चुनाव में किसे कितने वोट मिले थे
कोरबा निगम में कुल 67 पार्षद हैं। बीजेपी के 45, कांग्रेस के 11 और निर्दलीय 11 पार्षद इस बार चुनाव जीतकर आए हैं। सभी ने सभापति के चुनाव के लिए वोटिंग की थी। पार्षद नूतन सिंह ठाकुर को 33 वोट मिले थे। वहीं, बीजेपी के उम्मीदवार हितानंद अग्रवाल को केवल 18 वोट मिले। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी अब्दुल रहमान को 16 वोट मिले। बीजेपी के ही नेता नूतन सिंह ठाकुर ने बगावत कर सभापति के चुनाव में नामांकन दाखिल किया और नूतन जीत भी गए।

मंत्री लखनलाल को क्यों मिला नोटिस
राज्य सरकार के उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने नूतन सिंह ठाकुर की जीत की बधाई दी थी। लखनलाल ने कहा था- पार्टी के पार्षदों ने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के बजाय उनका समर्थन किया। मैं नूतन सिंह को कोरबा नगर निगम के सभापति चुने जाने पर बधाई देना चाहता हूं। वह भाजपा पार्षद चुने गए थे। पार्टी ने इस पद के लिए हितानंद अग्रवाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन हमारे पार्षदों ने एकजुट होकर नूतन का सर्वसम्मति से समर्थन किया। हम उनके फैसले को स्वीकार करते हैं। बता दें कि लखनलाल देवांगन कोरबा विधानसभा सभा सीट से विधायक हैं।

संगठन की जमकर हो रही किरकिरी
इस चुनाव के परिणाम आने के बाद यह बात सबके सामने है कि संगठन ने जिसका नाम तय किया था, निगम के निर्वाचित भाजपा पार्षदों ने उसे नकार दिया और एक बागी प्रत्याशी को विजेता बना दिया। सदैव अनुशासन की बात करने वाले बीजेपी में संगठन की बात को नकारे जाने से भाजपा की जमकर किरकिरी हुई। लोकसभा चुनाव में भी सरोज पांडेय को भीतरघात का सामना करना पड़ा था। बाहरी प्रत्याशी बताते हुए अंदर ही अंदर किलेबंदी तो नहीं की गई थी। नतीजा छत्तीसगढ़ की 10 सीटों पर भाजपा को एकतरफा जीत मिली, लेकिन सरोज पांडेय चुनाव हार गई।

BJP पार्षदों ने नहीं दिया प्रत्याशी का साथ
संगठन के आदेश पर 46 वोट बीजेपी की प्रत्याशी को मिलना चाहिए था, लेकिन आपस का झगड़ा और मतभेद इस कदर हावी था कि भाजपा प्रत्याशी को सिर्फ 18 वोट मिले, यानी भाजपा के आधे पार्षदों ने भी अपने अधिकृत प्रत्याशी को वोट नहीं दिया। 67 पार्षद और एक महापौर को मिलाकर निगम में सभापति के लिए कुल 68 वोट डाले जाने थे। बीजेपी के 45 पार्षद और एक वोट महापौर का भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी को मिलने की उम्मीद थी। पार्टी के नेता अब यह गुणा भाग भी लगा रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग कैसे हुई? इसे लेकर कांग्रेस भी निशाना साध रहे हैं।

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