रायपुर. न्यूजअप इंडिया
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना’ को मंजूरी दी है। इस पर 75 हजार 21 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। योजना के तहत एक करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए वित्तीय सहायता मिलेगी। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। छतों पर सोलर पैनल लगाने और एक करोड़ परिवारों को हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली की इस योजना से मिलेगी। हर परिवार को एक किलोवाट क्षमता के प्लांट के लिए 30 हजार रुपये और दो किलोवाट के संयंत्र के लिए 60 हजार रुपये सब्सिडी दी जाएगी।
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना क्या है?
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना एक केंद्रीय योजना है, जिसका लक्ष्य भारत में वैसे एक करोड़ परिवारों को मुफ्त बिजली प्रदान करना है, जो छत पर सौर बिजली इकाई स्थापित करने का विकल्प चुनते हैं। ऐसे परिवारों को हर महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त मिल सकेगी। यह 75,021 करोड़ रुपये के व्यय के साथ 29 फरवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल से स्वीकृत एक महत्वाकांक्षी योजना है।
PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना कैसे काम करेगी?
यह योजना 2 किलोवाट क्षमता तक के सिस्टम के लिए सौर इकाई लागत का 60 प्रतिशत और 2 से 3 किलोवाट क्षमता के बीच के सिस्टम के लिए अतिरिक्त सिस्टम लागत की 40 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है। इस सब्सिडी को 3 किलोवाट क्षमता तक सीमित कर दिया गया है। 1 किलोवाट सिस्टम के लिए 30,000 रुपये, 2 किलोवाट सिस्टम के लिए 60,000 रुपये और 3 किलोवाट या उससे अधिक सिस्टम के लिए 78,000 रुपये होगी।
इस योजना के लिए आवेदन करने ये होंगे पात्र?
- आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- सोलर पैनल लगाने के लिए उपयुक्त छत वाला घर होना चाहिए।
- परिवार के पास वैध बिजली कनेक्शन होना चाहिए।
- परिवार ने सोलर पैनलों के लिए किसी अन्य सब्सिडी का लाभ नहीं लिया हो।
मुफ्त बिजली योजना के लिए ऐसे करें आवेदन
सबसे पहले इसके इच्छुक उपभोक्ता को राष्ट्रीय पोर्टल www.pmsuryagarh.gov.in पर पंजीकरण कराना होगा। इसमें राज्य और बिजली वितरण कंपनी का चयन करना होगा। राष्ट्रीय पोर्टल उपयुक्त सिस्टम आकार, लाभ की गणना, विक्रेता रेटिंग आदि जैसी प्रासंगिक जानकारी प्रदान करके इच्छुक परिवारों की सहायता करेगा। उपभोक्ता विक्रेता और रूफ टॉप सोलर यूनिट का चयन कर सकते हैं, जिसे वे अपनी छत पर लगाना चाहते हैं।
बिना गारंटी ऋण सुविधा का उठा सकते हैं लाभ?
कोई परिवार 3 किलोवाट तक के आवासीय आरटीएस सिस्टम लगाने वर्तमान में लगभग 7 प्रतिशत की दर से बिना किसी गारंटी के कम ब्याज पर ऋण ले सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर तय की गई प्रचलित रेपो दर से यह ब्याज दर 0.5 प्रतिशत अधिक आंकी गई है। यदि रेपो दर, जो वर्तमान में 6.5 प्रतिशत है, घटकर 5.5 प्रतिशत हो जाए, तो उपभोक्ता के लिए प्रभावी ब्याज दर वर्तमान 7 प्रतिशत के बजाय 6 प्रतिशत हो जाएगी।
सब्सिडी प्राप्त करने की प्रक्रिया
चरण-1
- निम्नलिखित के साथ पोर्टल पर पंजीकरण करें
- अपने राज्य एवं विद्युत वितरण कंपनी का चयन करें
- अपनी बिजली उपभोक्ता संख्या, मोबाइल नंबर और ईमेल दर्ज करें।
चरण-2 - उपभोक्ता संख्या और मोबाइल नंबर के साथ लॉगिन करें
- प्रपत्र के अनुसार रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन करें
चरण-3 - एक बार व्यवहार्यता अनुमोदन प्राप्त हो जाने के पश्चात, किसी भी पंजीकृत विक्रेता से संयंत्र स्थापित करवाएं
चरण-4 - स्थापना का कार्य संपन्न हो जाने के पश्चात संयंत्र का विवरण जमा कराएं और नेट मीटर के लिए आवेदन करें।
चरण-5 - नेट मीटर की स्थापना और वितरण कंपनी (या डिस्कॉम) द्वारा निरीक्षण हो जाने के बाद पोर्टल से कमीशनिंग प्रमाणपत्र जेनरेट किया जाएगा।
चरण-6 - कमीशनिंग रिपोर्ट प्राप्त हो जाने के पश्चात पोर्टल के माध्यम से अपने बैंक खाते का विवरण और एक कैंसिल चेक जमा कराएं। आपको 30 दिन के भीतर अपने बैंक खाते में अपनी सब्सिडी प्राप्त हो जाएगी।
रूफ टॉप सोलर योजना का चयन आखिर क्यों?
- साधारण अर्थशास्त्रः इसकी बदौलत परिवार अपने बिजली बिल बचाने में सक्षम होंगे और इसके साथ ही साथ वे डिस्कॉम को अधिशेष बिजली की बिक्री करके अतिरिक्त आय अर्जित करने में भी सक्षम होंगे।
- पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना 3 किलोवाट क्षमता वाली रूफ टॉप सोलर यूनिट स्थापित करके, प्रति माह 300 यूनिट तक की खपत करने वाले परिवार के लिए एक वर्ष में लगभग 15,000 रुपये की सुनिश्चित बचत का वादा करती है। ऐसा घर, अपनी खुद की बिजली उत्पादित करके, बिजली बिल पर लगभग 1,800 रुपये – 1875 रुपये बचाएगा।
- सोलर यूनिट की स्थापना के संबंध में वित्तपोषण के लिए कर्ज पर 610 रुपये की ईएमआई घटाने के बाद भी, यह बचत लगभग 1,265 रुपये प्रति माह या एक वर्ष में लगभग 15,000 रुपये होगी। कर्ज न लेने वाले परिवारों की बचत और भी अधिक होगी। इसके अलावा, रूफ टॉप सोलर योजना नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देते हुए कार्बन उत्सर्जन में भी कमी लाएगी।