रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मोदी की गारंटी की लहर ने कांग्रेस पर कहर बरपा दिया। भाजपा की आंधी में कांग्रेस की भरोसे की सरकार उखड़ गई। 54 सीटों पर जीत के साथ भाजपा की दोबारा सरकार की वापसी हो गई है, जबकि कांग्रेस 35 सीटों पर सिमट गई। भाजपा की आंधी में भूपेश बघेल कैबिनेट के कई मंत्री अपनी सीट नहीं बचा सके। केजरीवाल की गारंटी भी छत्तीसगढ़ में नहीं चली। वहीं क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी भी कोई कमाल नहीं दिखा पाई। बहुजन समाज पार्टी भी अपनी सीट बचाने में नाकाम रही। प्रदेश की एक सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को जीत मिली है। इधर चुनाव में भाजपा की जीत पर बधाई के साथ मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है।
विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- ‘विजय के सूत्रधार छत्तीसगढ़ के प्रभारी ओम माथुर, संगठन को सशक्त करने वाले केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने वाले सह प्रभारी नितिन नबीन से इस ऐतिहासिक विजय के उपरांत मुलाक़ात कर बधाई दी। भाजपा का ध्वज छत्तीसगढ़ की धरा पर लहरा रहा है। अब हमें मिलकर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिकल्पनाओं को भी छत्तीसगढ़ में धरातल पर लेकर आना है।’ इधर इस मुलाकात के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री फेस को लेकर डॉ. रमन पहले भी कह चुके हैं कि संगठन और विधायक दल की बैठक में नाम तय होगा।
रमन ने किया था 55 सीट जीतने का दावा
बता दें कि छत्तीसगढ़ में भाजपा को 54 सीटों पर जीत मिली है। डॉ. रमन सिंह ने चुनाव से पहले 46 से 55 सीटों पर जीत का दावा किया था। डॉ. रमन सिंह अभी भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। छत्तीसगढ़ में तीन बार के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को भले ही पार्टी ने चुनाव में मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया है, लेकिन उनकी दावेदारी को सिरे से खारिज भी नहीं किया जा सकता। चुनाव से छह महीने पहले रमन सिंह जरूर बीजेपी में उपेक्षित थे, लेकिन जब चुनाव बेहद करीब आया तो हाईकमान ने टिकट देने में डॉ. रमन सिंह की सुनी। केंद्रीय नेतृत्व यह बात जानता है कि रमन सिंह तीन बार सरकार चला चुके हैं और उन्हें राज्य चलाने की बेहतर अनुभव है। वह राज्य में लोकप्रिय रहे हैं। मुख्यमंत्री चुनते समय उनके अनुभव को दरकिनार कर देना कठिन होगा।