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Saturday, July 27, 2024

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा, 2027 तक था कार्यकाल, अब क्या होगा आगे?

नई दिल्ली. एजेंसी। चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कानून मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि अरुण गोयल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार 9 मार्च से स्वीकार कर लिया है। फिलहाल, अरुण गोयल के इस्तीफे के कारणों का आधिकारिक रूप से कोई कारण नहीं बताया गया है। सामने चुनाव है और अब आगे क्या होगा यह बड़ा सवाल है?

बता दें कि फरवरी में अनूप पांडे के रिटायरमेंट और अब अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद तीन सदस्यीय निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बचे हैं। अरुण गोयल का कार्यकाल 5 दिसंबर 2027 तक था। वहीं राजीव कुमार का कार्यकाल अगले साल फरवरी तक है। उनके बाद गोयल ही अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने वाले थे। गोयल के इस तरह अचानक इस्तीफा दिए जाने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। क्या लोकसभा चुनाव आगे बढ़ाया जा सकता है…?

इस्तीफे को लेकर कई तरह की चर्चा
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इशारा किया गया है कि विभिन्न मुद्दों पर मतभेद थे और यह उनके इस्तीफे का एक कारण हो सकता है। राजनीतिक गलियारों में अरुण गोयल के इस्तीफे को निजी कारण बताया जा रहा है। कांग्रेस ने इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। इससे पहले ये भी कयास लगाए जा रहे थे अरुण गोयल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उन्होंने स्वास्थ्यगत कारणों से पद छोड़ा है।

‘हमारे लोकतंत्र पर कब्ज़ा कर लिया जाएगा’
गोयल के इस्तीफे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा- ‘भारत में अब केवल एक चुनाव आयुक्त है, जबकि कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनावों की घोषणा होनी है क्यों? जैसा कि मैंने पहले कहा है अगर हम अपने स्वतंत्र संस्थाओं की सुनियोजित बर्बादी को नहीं रोकते हैं तो तानाशाही द्वारा हमारे लोकतंत्र पर कब्ज़ा कर लिया जाएगा। ECI अब गिरने वाली अंतिम संवैधानिक संस्थाओं में से एक होगी।’

चुनाव आयुक्त का चयन कैसे होता है?
बता दें कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पैनल की सिफारिश पर की जाएगी। पिछले साल केंद्र सरकार ने एक कानून बनाया था, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। अब मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का तरीका सीबीआई चीफ की नियुक्ति की तरह ही किया जाएगा।

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