रायपुर. न्यूजअप इंडिया
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में हाहाकार मचा हुआ है। एक के बाद एक कई नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। बुधवार को वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। चुनाव से 7 माह पहले ही नंदकुमार साय ने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थामा था। साय ने पीसीसी चीफ दीपक बैज को इस्तीफा भेजा है। नंदकुमार साय ने जब कांग्रेस का दामन थामा तब भूपेश बघेल ने टिप्पणी करते हुए कहा था नंद कुमार को नमक नहीं लगता, क्योंकि ये नमक ही नहीं खाते।
बता दें कि नंदकुमार साय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1 मई को नंदकुमार साय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी। उस दौरान नंदकुमार साय ने कहा था, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोगों के साथ रहा हूं। अटल बिहारी वाजपेयी को फॉलो करता था। अटल-आडवाणी के दौर की बीजेपी अब उस रूप में नहीं है। परिस्थितियां बदल चुकी है। नंदकुमार के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद राजनीतिक गलियारों में ऐसी भी चर्चा है कि विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद नंदकुमार उनसे मिलने गए थे। अब इसमें कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके
कांग्रेस में शामिल होने के कुछ ही दिन बाद नंदकुमार साय को छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन नंदकुमार साय विधानसभा चुनाव में टिकट की उम्मीद से गए थे। कांग्रेस ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। विधानसभा चुनाव में टिकट भी नहीं मिली और कांग्रेस की हार के बाद उन्हें भाजपा छोड़ना खल रहा होगा। अगर वे भाजपा में होते तो संभवत: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जरूर बनते। नंदकुमार साय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ सांसद भी रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ में उन्हें दिग्गज आदिवासी नेताओं में गिनाता जाता है।