खैरागढ़. न्यूजअप इंडिया.कॉम
छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के छुईखदान-संडी क्षेत्र में श्री सीमेंट लिमिटेड के प्रस्तावित मेगा सीमेंट प्लांट व लाइमस्टोन खदान (कुल 404 हेक्टेयर) को लेकर विवाद अब चरम पर पहुंच गया है। एक तरफ कंपनी और जिला प्रशासन इसे “विकास का सुनहरा अवसर” बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ स्थानीय विधायक यशोदा वर्मा और हजारों किसान इसे “उपजाऊ ज़मीन छीनने की साजिश” करार दे रहे हैं।
कंपनी प्रबंधन का कहना है कि “कोई विस्थापन नहीं, कोई पर्यावरण नुकसान नहीं” होगा। श्री सीमेंट के अफसरों ने खैरागढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कहा कि कुछ लोग जानबूझकर अफवाहें फैला रहे हैं और कंपनी के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। कंपनी दावा कर रही है:
- एक भी गांव विस्थापित नहीं होगा
- पर्यावरण के सभी मानक पूरे किए जाएंगे
- स्थानीय लोगों को प्राथमिकता से रोजगार मिलेगा
- क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी, स्कूल-हॉस्पिटल जैसी सुविधाएं बढ़ेंगी
जिला प्रशासन भी कंपनी के साथ
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद कलेक्टर इंद्रजीत चंद्रवाल ने कहा कि “लोगों के मन में कई भ्रम हैं। 11 दिसंबर की जनसुनवाई इन्हीं भ्रमों को दूर करने और ग्रामीणों की शिकायतें सुनने का कानूनी मंच है। प्रशासन अलग से भी बातचीत को तैयार है।”
विधायक और किसानों का गुस्सा
क्षेत्र की कांग्रेस विधायक यशोदा नीलांबुज वर्मा ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर 11 दिसंबर की जनसुनवाई तत्काल रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि “हज़ारों एकड़ उपजाऊ तीन फसली ज़मीन छीनकर सीमेंट फैक्ट्री लगाना किसानों के साथ धोखा है। कंपनी की EIA रिपोर्ट में सिर्फ 138 स्थायी नौकरियों का जिक्र है। इतने थोड़े रोजगार के लिए हम अपना भविष्य नहीं बर्बाद होने देंगे।” वहीं किसान संगठनों ने भी चेतावनी दी है कि अगर जनसुनवाई नहीं रोकी गई तो 11 दिसंबर को छुईखदान में बड़ा आंदोलन होगा।
अब सभी की नजर 11 दिसंबर पर
यह जनसुनवाई ही तय करेगी कि 5.5 मिलियन टन सालाना क्षमता वाला यह मेगा प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाएगा या किसानों का विरोध इसे रोक देगा। विकास बनाम खेती-पर्यावरण की यह जंग अब निर्णायक मोड़ पर खड़ी है।
